एक समीक्षा के मुताबिक, एशिया में अधिकांश आयु समूहों में विटामिन ई का स्तर अपर्याप्त है, 67% शिशुओं, 80% बच्चों और किशोरों, 56% वयस्कों, 72% गर्भवती महिलाओं और अन्य में विटामिन ई की कमी है। यह आंकड़ा वाकई चौंकाने वाला है और समय रहते हमें सचेत होने की चेतवानी भी देता है। विटामिन ई की कमी से होने वाले रोग भारत सहित पूरी दुनिया में तेजी से बढ़ रहे हैं और कारण सिर्फ एक: विटामिन ई के पोषण पर ध्यान न देना।
बात करें विटामिन ई की कमी से होने वाले रोगों की तो इसमें शामिल है सिस्टिक फाइब्रोसिस, क्रोहन रोग, विटामिन ई की कमी के साथ गतिभंग (एवीईडी) एबेटालिपोप्रोटीनेमिया, फ्रेडरिक एटैक्सिया, स्ट्रोक, सेरेब्रल पाल्सी, पैरानियोप्लास्टिक सिंड्रोम, पित्त रोग और शॉर्ट-बाउल सिंड्रोम। इसकी कमी को वजह से बालों का झड़ना तेज हो जाता है, त्वचा खराब हो जाती है और साथ ही शरीर की गतिविधि पर नियंत्रण न होना, मांसपेशियों में कमजोरी और दृष्टि संबंधी समस्याएं भी दिखाई दे सकती हैं।
विटामिन ई क्या है (Vitamin E kya hai)
विटामिन ई विटामिन परिवार का एक महत्वपूर्ण सदस्य है जो शरीर पर एंटीऑक्सीडेंट्स गुणों को प्रदर्शित करता है। विटामिन ई का सबसे आम रूप अल्फा-टोकोफ़ेरॉल है। यह वनस्पति तेल, नट्स, बीज और हरी पत्तेदार सब्जियों सहित कई खाद्य पदार्थों में पाया जाता है। यह विटामिन शरीर की कई प्रकार से रक्षा करता है और समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में भी योगदान देता है।
विटामिन ई की कमी से बालों का झड़ना भी बढ़ जाता है। विटामिन ई सिर की त्वचा पर एंटीऑक्सीडेंट्स के रूप में कार्य करता है जिससे कोशिका क्षति नहीं होती है। अगर इसकी कमी हो जाए तो स्कैल्प में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ जाता है जिसकी वजह से बालों के रोम को नुकसान पहुंचता है और बालों का विकास रुक जाता है। यह रक्त प्रवाह में भी मददगार है, इसलिए इसकी कमी स्कैल्प तक रक्त प्रवाह को कम कर सकती है जिससे बालों का झड़ना शुरू हो सकता है।
अगर आपके भी बाल झड़ रहे हैं, रूसी की समस्या है या आपके बाल जगह जगह से गायब हो गए हैं और आप नए बाल उगाना चाहते हैं तो सबसे पहले Hair Test दें। बालों का झड़ना हीमोग्लोबिन की कमी से हो सकता है, विटामिन ए, डी या सी की कमी से हो सकता है, जेनेटिक्स भी इसके कारण हो सकते हैं। इसलिए यह टेस्ट देना जरूरी है ताकि सही कारण पता चल सके और ट्रीटमेंट उसी हिसाब से शुरू की जा सके। टेस्ट फ्री है, घर बैठे स्मार्टफोन की मदद से 2 से 3 मिनट में पूरा भी किया जा सकता है।
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विटामिन ई की कमी से होने वाले रोग (Vitamin E Ki Kami Se Kaun Sa Rog Hota Hai)
विटामिन ई की कमी से कई रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। इसकी कमी से नर्वस सिस्टम क्षतिग्रस्त हो सकता है, त्वचा संबंधित बीमारियां हो सकती हैं, इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है आदि। आइए विस्तार से जानते हैं कि विटामिन इ की कमी से कौन सा रोग होता है।
1. पेरिफेरल न्यूरोपैथी रोग (Peripheral neuropathy)
शरीर में विटामिन ई की कमी से पेरिफेरल न्यूरोपैथी होने की संभावना काफी बढ़ जाती है। यह समस्या तब हो जाती है जब आपके दिमाग और स्पाइनल कॉर्ड के बाहर मौजूद नसें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। इसमें आपके हाथ और पैरों तक जाने वाली नसें नकारात्मक रूप से प्रभावित हो जाती हैं। इसकी वजह से हाथ पैरों का सुन्न पड़ना, दर्द, जलन की अनुभूति, कमजोरी जैसी दिक्कतें हो सकती हैं।
विटामिन ई एक एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करता है, जो कोशिकाओं को मुक्त कणों से होने वाले नुकसान से बचाता है। नसें विशेष रूप से मुक्त कण क्षति के प्रति संवेदनशील होती हैं। जब आपके शरीर में विटामिन ई की कमी हो जाती है, तो आपकी नसें दर्द करने लगती हैं। इस समस्या में तंत्रिका तंत्र बाधित हो जाता है और साथ ही कुछ परिस्थितियों में आपका nervous system हमेशा के लिए तबाह हो सकता है।
2. गतिभंग रोग (Ataxia)
विटामिन ई की कमी से गतिभंग रोग यानि Ataxia होने का खतरा भी काफी बढ़ जाता है। एटेक्सिया से पीड़ित लोग अपने शरीर की गतिविधि या गतिशीलता को काबू में नहीं रख पाते हैं। गतिभंग से पीड़ित लोगों को अपनी मांसपेशियों को नियंत्रित करने में परेशानी होती है, जिससे चलना, बोलना, निगलना और अन्य रोजमर्रा के काम करना मुश्किल हो सकता है। इसके पीछे शरीर में विटामिन ई की कमी होना एक मुख्य कारण है।
विटामिन ई एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करके कोशिकाओं को क्षति से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह मुक्त कणों नामक हानिकारक अणुओं को निष्क्रिय करता है जो कोशिका झिल्ली और अन्य सेलुलर स्ट्रू को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके साथ ही, फ्री रेडिकल्स यानि मुक्त कण ही cerebellum में नर्वस सिस्टम की कोशिकाओं को हानि पहुंचाते हैं जिससे एटेक्सिया के लक्षण दिखाई देते हैं। विटामिन ई इन मुक्त कणों को बेअसर करने में मददगार है।
3. मांशपेशियों में कमजोरी (Muscle weakness)
मांशपेशियों में कमजोरी भी शरीर में विटामिन ई की कमी का एक संकेत होता है। जब आपके शरीर में विटामिन ई की भारी कमी हो जाती है तो इसकी वजह से आप हमेशा थकान महसूस करते हैं और मांशपेशियों में जुड़े हर कार्य को करने में आपको दिक्कतों का सामना करना पड़ जाता है। दरअसल, मांसपेशी कोशिकाएं विशेष रूप से झिल्लियों और वसा से समृद्ध होती हैं। जब विटामिन ई का स्तर कम होता है, तो ये कोशिकाएं मुक्त कण क्षति के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाती हैं।
यह क्षति मांसपेशियों की कोशिकाओं के उचित कामकाज को बाधित कर सकती है, जिससे कमजोरी हो सकती है और मांसपेशियों की ताकत में गिरावट आ सकती है। इसलिए अगर आप अपने मांशपेशियों में कमजोरी का अनुभव कर रहे हैं तो इसका एक प्रमुख कारण शरीर में विटामिन ई की कमी हो सकती है।
यह भी पढ़ें: बाल किस कमी से झड़ते हैं4. देखने की शक्ति कमजोर होना (Vision problems)
देखने की शक्ति में कमजोरी आना या दृष्टि दोष होना भी विटामिन ई की कमी के वजह से हो सकता है। हमारी देखने की क्षमता बेहतर है इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार रेटीना ही होता है, जोकि आंख के पीछे प्रकाश-संवेदनशील परत होती है जो प्रकाश को विद्युत संकेतों में परिवर्तित करने के लिए जिम्मेदार होती है जिसे मस्तिष्क दृष्टि के रूप में व्याख्या करता है। इस परत यानि रेटीना को सबसे ज्यादा खतरा फ्री रेडिकल्स से ही होता है जो रेटीना को क्षति पहुंचा सकते हैं।
ऐसे में हमने आपको पहले ही बताया कि विटामिन ई सबसे बड़ा एंटीऑक्सीडेंट्स माना गया है यानि यह फ्री रेडिकल्स को बेअसर करने में महत्वपूर्ण है जिसकी वजह से रेटीना मुक्त कणों से होने वाले नुकसान से बच जाती है। इसके अलावा, कुछ शोध कम विटामिन ई और मोतियाबिंद के उच्च जोखिम के बीच एक संबंध भी स्थापित करते हैं।
5. हेमोलिटिक एनीमिया (hemolytic anemia)
हेमोलिटिक एनीमिया का खतरा भी शरीर में विटामिन ई की कमी होने पर हो सकता है। हिमोलिटिक एनीमिया वह स्तिथि है जिसमें आपकी लाल रक्त कोशिकाएं टूटने लगती हैं या आपके शरीर द्वारा उन्हें नई रक्त कोशिकाओं से बदलने की क्षमता से अधिक तेजी से नष्ट हो जाती हैं। शरीर नई लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण कर पाए, इससे पहले ही पहले से मौजूद लाल रक्त कोशिकाएं मर जाती हैं। यह एक blood disorder होता है।
विटामिन ई की कमी से यह क्यों और कैसे होता है? आइए समझते हैं। जब विटामिन ई का स्तर कम होता है, तो मुक्त कण लाल रक्त कोशिकाओं की झिल्लियों को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे वे अधिक नाजुक हो जाती हैं और टूटने (हेमोलिसिस) का खतरा होता है। लाल रक्त कोशिकाओं के इस टूटने से हेमोलिटिक रोग हो जाता है। इसके अलावा विटामिन ई ही लाल रक्त कोशिकाओं को मुक्त कणों से भी रक्षा करता है। ऐसे में इसकी कमी होने पर लाल रक्त कोशिकाएं समय से पहले ही मरने लगेंगी।
विटामिन ई की कमी के लक्षण क्या हैं (Vitamin E deficiency symptoms)
विटामिन ई की कमी होने पर शरीर में कई लक्षण दिखाई दे सकते हैं जैसे कि:
- बालों का झड़ना
- बाहों और पैरों में सुन्नता
- शरीर की गति पर नियंत्रण खोना
- मांसपेशियों में कमजोरी
- दृष्टि संबंधी समस्याएं
- त्वचा संबंधित समस्याएं
- इम्यून सिस्टम कमजोर पड़ जाना
1. बालों का झड़ना (Hair Fall)
शरीर में विटामिन ई की कमी होने पर बालों का झड़ना तेज हो जाता है। अगर आपके बाल तेजी से झड़ रहे हैं तो हो सकता है कि आपके शरीर में विटामिन ई की कमी हो। यह विटामिन एंटीऑक्सीडेंट्स से लड़ता है और सेल डैमेज को रोकता है। ऐसे में सिर की त्वचा कोशिका क्षति से बच जाती है और साथ ही ऑक्सीडेटिव तनाव का स्तर भी कम हो जाता है जोकि बालों के झड़ने का एक कारण है।
लेकिन अगर आपके बाल झड़ रहे हैं तो जरूरी नहीं कि यह विटामिन ई की कमी से ही हो रहा हो। हो सकता है कि आपके शरीर में अन्य पोषक तत्वों की कमी हो, रक्त में हीमोग्लोबिन कम हो, थायराइड जैसी बिमारियां हों आदि। ऐसे में हम आपको सबसे पहले Hair Test देने की सलाह देते हैं। यह टेस्ट देने पर आपको पता चलता है कि आपके बालों के झड़ने का मुख्य कारण क्या है ताकि उसका सही ट्रीटमेंट शुरू किया जा सके। बिना कारण जाने उपचार करना बिल्कुल भी उचित नहीं है। इसलिए अभी इस फ्री टेस्ट को घर बैठे अपने स्मार्टफोन से दें और झड़ते बालों को कहें बाय बाय।
यह भी पढ़ें: विटामिन ई कैप्सूल को बालों में कैसे लगाएं2. हाथ पैरों में सुन्नता (numbness in hands and feet)
अगर आपके शरीर में विटामिन ई की कमी हो गई है तो आपको शरीर के कई हिस्सों में सुन्नता की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। खासतौर पर हाथों और पैरों में आपको सुन्न होने की अनुभूति हो सकती है। इसका कारण यह है कि जब विटामिन ई का स्तर कम होता है, तो यह ऑक्सीडेटिव तनाव तंत्रिका तंतुओं को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे अक्सर हाथों और पैरों में सुन्नता और झुनझुनी महसूस होती है। इस स्थिति को peripheral neuropathy कहा जाता है जिसकी जानकारी हमने आपको ऊपर दी है।
इसके साथ ही, विटामिन ई नसों के आसपास मौजूद आवरण को भी मेंटेन करता है। यही आवरण यह सुनिश्चित करता है कि शरीर को सही से नर्व सिग्नलिंग मिलती रहे ताकि शरीर के सभी कार्य सुचारू रूप से संपन्न हों। लेकिन जब आपके शरीर में विटामिन ई की कमी हो जाती है तो यह आवरण खराब हो जाता है या कमजोर हो जाता है जिसकी वजह से तंत्रिका आवेगों में बाधा पड़ती है और सुन्नता पैदा होती है।
3. मांशपेशियों में कमजोरी होना (muscle weakness)
मांशपेशियों में कमजोरी होना भी शरीर में विटामिन ई की कमी का एक प्रमुख लक्षण है। जैसा कि हमने आपको पहले भी बार बार बताया, विटामिन ई को एक एंटीऑक्सीडेंट के रूप में जाना जाता है यानि यह कोशिका क्षति से शरीर की रक्षा करता है जिसमें मांशपेशियां भी शामिल हैं। जब विटामिन ई का स्तर कम होता है, तो मांसपेशियों की कोशिकाओं को मुक्त कणों से क्षति होने की अधिक संभावना होती है। इस क्षति से मांसपेशियों में कमजोरी हो सकती है।
साथ ही, विटामिन ई तंत्रिकाओं के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए भी महत्वपूर्ण है। नसें मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी से मांसपेशियों तक संकेत पहुंचाती हैं। जब विटामिन ई का स्तर कम होता है, तो नसें क्षतिग्रस्त हो सकती हैं। यह क्षति उन संकेतों में हस्तक्षेप कर सकती है जो तंत्रिकाएं मांसपेशियों को भेजती हैं, जिससे मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं।
4. त्वचा संबंधित समस्याएं (skin related problems)
शरीर में विटामिन ई की कमी से त्वचा संबंधित समस्याएं भी हो सकती हैं। इसकी कमी से त्वचा का सूखापन और परतदारपन होना दिखाई दे सकता है। त्वचा को जवां और त्वचा संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए लोग विटामिन ई कैप्सूल्स का भी इस्तेमाल करते हैं। लेकिन ऐसा होता क्यों है? आइए समझते हैं। दरअसल, विटामिन ई त्वचा अवरोध कार्य को बनाए रखने में मदद करता है, जो नमी को बरकरार रखता है और बाहरी परेशानियों से बचाता है। इसकी कमी से यह कार्य ख़राब हो सकता है, जिससे सूखापन और परतदारपन हो सकता है।
इसके अलावा, विटामिन ई टिशूज की मरम्मत में शामिल होता है और घाव भरने में भूमिका निभा सकता है। कमी संभावित रूप से इस प्रक्रिया को धीमा कर सकती है। अगर आपके शरीर के घाव धीरे धीरे भर रहे हैं तो इसका एक कारण विटामिन ई की कमी भी हो सकती है।
5. इम्यून सिस्टम कमजोर पड़ जाना (Weak immune system)
कमजोर इम्यून सिस्टम होना भी विटामिन ई की कमी की वजह से हो सकता है। परंतु आपको कैसे पता लगेगा कि आपका इम्यून सिस्टम कमजोर है? इसके कई लक्षण दिखाई देते हैं जैसे घाव के जल्दी न भरना, बार बार बीमार पड़ना, छोटी मोटी बीमारियां भी लंबे समय तक ठीक न होना आदि। अगर ये लक्षण आप में दिखाई दे रहे हैं तो ज्यादातर संभावना है कि आपका इम्यून सिस्टम कमजोर है और यह विटामिन ई की कमी से हो सकता है।
दरअसल विटामिन ई हमारे शरीर को कई प्रकार की हानि से बचाता है। खासतौर पर हमारे इम्यून सेल्स को फ्री रेडिकल्स से काफी खतरा होता है जिससे बचाने में विटामिन ई मदद करता है। जब विटामिन ई का स्तर कम होता है, तो ये मुक्त कण प्रतिरक्षा कोशिकाओं पर कहर बरपा सकते हैं, जिससे उनकी प्रभावी ढंग से कार्य करने की क्षमता बाधित हो सकती है।
विटामिन ई की कमी से कौन सा रोग होता है (Vitamin E Ki Kami Se Kaun Sa Rog Hota Hai)
विटामिन ई की कमी से कई रोग होने की संभावना बढ़ जाती है।।इसकी कमी से पेरिफेरल न्यूरोपैथी, एटेक्सिया, एबेटालिपोप्रोटीनेमिया, फ्रेडरिक एटैक्सिया, स्ट्रोक, सेरेब्रल पाल्सी, पैरानियोप्लास्टिक सिंड्रोम, पित्त रोग और शॉर्ट-बाउल सिंड्रोम हो सकते हैं या इनके लक्षण दिखाई दे सकते हैं। इन रोगों के होने पर भी शरीर में विटामिन ई की भारी कमी हो जाती है।
इसके अलावा, अगर आप शरीर में विटामिन ई की कमी से जूझ रहे हैं तो आपको कई लक्षण दिखाई दे सकते हैं जैसे हाथ पैरों में सुन्नता, दिखाई न देना या धुंधला दिखाई देना, कमजोरी, झुनझुनी होना, बार बार बीमार पड़ना, बालों का झड़ना, त्वचा का रूखी और परतदार बनना आदि। अगर आप विटामिन ई की कमी से होने वाले रोग से जूझ रहे हैं तो आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। साथ ही ऐसे आहार का सेवन करना चाहिए जिसमें विटामिन ई की मात्रा भरपूर हो। तो इस तरह उम्मीद है कि आप Vitamin E Ki Kami Ke Lakshan समझ गए होंगे।
विटामिन ई की कमी को कैसे दूर करें (How to overcome Vitamin E deficiency
विटामिन ई की कमी से होने वाले रोग ढेरों हैं। ऐसे में आपको ऐसे उपाय अपनाने चाहिए जिससे आप उन रोगों से बच सकें। तो आइए संक्षेप में जानते हैं कि विटामिन ई की कमी को दूर करने के लिए क्या करना चाहिए।
विटामिन ई की कमी को दूर करने के लिए आपको ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए जिनमें विटामिन ई की मात्रा प्रचुर हो। विटामिन ई से भरपूर खाद्य पदार्थों में शामिल हैं पत्तेदार सब्जियाँ, मेवे, बीज, वनस्पति तेल, साबुत अनाज, फोर्टिफाइड अनाज, एवोकैडो, जामुन, आम, कीवी और लाल मिर्च। इसके साथ ही, रोजाना योग और एक्सरसाइज करना, अच्छी नींद लेना भी महत्वपूर्ण है।
अगर आपके शरीर में विटामिन ई की कमी से होने वाले रोग दिखाई दे रहे हैं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। इस परिस्थिति में डॉक्टर आपको विटामिन ई से युक्त सप्लीमेंट लेने की सलाह दे सकते हैं। आप रेगुलर ब्लड टेस्ट भी दे सकते हैं जिससे आपको पता चलेगा कि शरीर में विटामिन ई की कितनी मात्रा मौजूद है ताकि समय रहते जरूरी कदम उठाए जा सकें।
विटामिन ई किसमें पाया जाता है (Vitamin E Kisme Paya Jata Hai)
विटामिन ई कई खाद्य पदार्थों में पाया जाता है। खासतौर पर पत्तेदार सब्जियाँ, मेवे, बीज, वनस्पति तेल, साबुत अनाज, फोर्टिफाइड अनाज, एवोकाडो, जामुन, आम, कीवी और लाल मिर्च में विटामिन ई की मात्रा प्रचुर होती है। इसके अलावा, अगर आप शरीर में विटामिन ई की मात्रा को बढ़ाना चाहते हैं तो डॉक्टर की सलाह के पश्चात सप्लीमेंट्स भी ले सकते हैं।
इसके अलावा धूम्रपान और मदिरापान का सेवन न करना भी शरीर में विटामिन ई के स्तर को बनाए रखता है। इनके सेवन से शरीर में फ्री रेडिकल्स बढ़ जाते हैं। इसके अलावा, रोजाना धूप अवश्य लें लेकिन सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना भी जरूरी है। ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करें जिससे आपकी आंत का स्वास्थ्य सुधरे। आंत ही शरीर में विटामिन ई सहित अन्य कई पोषक तत्वों के अवशोषण के लिए महत्वपूर्ण है। उम्मीद है आपके प्रश्न vitamin e kisse milta hai और vitamin e kisme hota hai का उत्तर मिल गया होगा।
विटामिन ई से क्या होता है (Vitamin E Se Kya Hota Hai)
विटामिन ई शरीर के सभी कार्यों के लिए जरूरी एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है। इससे शरीर मुक्त कणों से होने वाले नुकसान से बच जाता है। साथ ही, अगर इसकी मात्रा शरीर में पर्याप्त रूप से मौजूद हो तो इम्यून सिस्टम मजबूत रहता है जिससे आप बार बार बीमार नहीं पड़ते हैं। यह लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में भी अहम भूमिका निभाता है जिससे थकावट, पीलापन, हृदय रोग आदि का जोखिम भी कम हो जाता है।
शरीर में अगर आपके विटामिन ई पर्याप्त मात्रा में मौजूद हो तो Ataxia और Peripheral Neuropathy होने का जोखिम भी कम हो जाता है। एटेक्सिया वह रोग है जिसमें पीड़ित लोगों को अपनी मांसपेशियों को नियंत्रित करने में परेशानी होती है, जिससे चलना, बोलना, निगलना और अन्य रोजमर्रा के काम करना मुश्किल हो सकता है। साथ ही, पेरिफेरल न्यूरोपैथी वह समस्या है जिसमें पैरों का सुन्न पड़ना, दर्द, जलन की अनुभूति, कमजोरी जैसी दिक्कतें हो सकती हैं।
शरीर में विटामिन ई कितना होना चाहिए (What should be the amount of Vitamin E in the body)
शरीर में विटामिन ई की मात्रा आयु, लिंग, वजन और अन्य परिस्थितियों के हिसाब से अलग अलग हो सकती है। वयस्कों के लिए विटामिन ई की अनुशंसित दैनिक मात्रा 15 मिलीग्राम है। गर्भवती महिलाओं के लिए अनुशंसित दैनिक मात्रा 19 मिलीग्राम (28 आईयू) है। उम्र के हिसाब से शरीर में विटामिन ई की मात्रा निम्नलिखित होनी चाहिए:
- जन्म से 6 महीने तक: 4 मिलीग्राम
- 7-12 महीने के शिशु: 5 मिलीग्राम
- 1-3 वर्ष के बच्चे: 6 मिलीग्राम
- 4-8 वर्ष के बच्चे: 7 मिलीग्राम
- 9-13 वर्ष के बच्चे: 11 मिलीग्राम
- 14-18 वर्ष के किशोर: 15 मिलीग्राम
- वयस्क: 15 मिलीग्राम
निष्कर्ष (Conclusion)
विटामिन ई की कमी से एबेटालिपोप्रोटीनेमिया, फ्रेडरिक एटैक्सिया, स्ट्रोक, सेरेब्रल पाल्सी, पैरानियोप्लास्टिक सिंड्रोम, पित्त रोग और शॉर्ट-बाउल सिंड्रोम रोग हो सकते हैं, इनके लक्षण दिखाई दे सकते हैं या इन रोगों के होने से विटामिन ई की कमी हो सकती है। शरीर में विटामिन ई की कमी होने पर कई लक्षण दिखाई देते हैं जैसे हाथ पैरों में कमजोरी, सुन्नता और झुनझुनी महसूस करना, बालों का झड़ना, त्वचा सुखी और परतदार बनना आदि।
अगर आपके शरीर में विटामिन ई की कमी हो गई है तो हम आपको ऐसे खाद्य पदार्थों को आहार में शामिल करने की सलाह देते हैं जो विटामिन ई से भरपूर हों। इसमें पत्तेदार सब्जियाँ, मेवे, बीज, वनस्पति तेल, साबुत अनाज, फोर्टिफाइड अनाज, एवोकाडो, जामुन, आम, कीवी और लाल मिर्च शामिल है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (Frequently Asked Questions)
1. विटामिन ई की कमी से कौन सा रोग होता है?
विटामिन ई की कमी से एबेटालिपोप्रोटीनेमिया, फ्रेडरिक एटैक्सिया, स्ट्रोक, सेरेब्रल पाल्सी, पैरानियोप्लास्टिक सिंड्रोम, पित्त रोग और शॉर्ट-बाउल सिंड्रोम रोग होने या इनके लक्षण दिखाई देने की संभावना होती है। साथ ही हाथ पैरों में झुनझुनी और सन्नाटा, बाल झड़ना, हृदय रोग, त्वचा संबंधित दिक्कतें, कमजोर इम्यून सिस्टम विटामिन ई की कमी के लक्षण हैं।
2. विटामिन ई का सबसे अच्छा स्रोत कौनसा है?
विटामिन ई का सबसे अच्छा स्रोत पत्तेदार सब्जियाँ, मेवे, बीज, वनस्पति तेल, साबुत अनाज, फोर्टिफाइड अनाज, एवोकाडो, जामुन, आम, कीवी और लाल मिर्च हैं।
3. विटामिन ई की कमी के लिए क्या खाना चाहिए?
विटामिन ई की कमी के लिए आपको अधिक से अधिक पत्तेदार सब्जियाँ, मेवे, बीज, वनस्पति तेल, साबुत अनाज, फोर्टिफाइड अनाज, एवोकाडो, जामुन, आम, कीवी और लाल मिर्च खाना चाहिए।
4. विटामिन ई की कमी कैसे पता करें?
विटामिन ई की कमी को पता करने के लिए आपको ब्लड टेस्ट करवाने की आवश्यकता पड़ सकती है। ब्लड टेस्ट के ही माध्यम से सटीक पता लगाया जा सकता है कि शरीर में विटामिन ई की कमी कितनी है।
5. एक स्वस्थ व्यस्क में विटामिन ई की मात्रा कितनी होनी चाहिए?
एक स्वस्थ व्यस्क में विटामिन ई की मात्रा 15 मिलीग्राम होनी चाहिए। गर्भवती महिलाओं के लिए अनुशंसित दैनिक मात्रा 19 मिलीग्राम (28 आईयू) है।
References
- Vitamin E Deficiency - MSD Manuals: https://www.msdmanuals.com
- How to Identify and Treat a Vitamin E Deficiency - Healthline: https://www.healthline.com
- Vitamin E deficiency - Wikipedia: https://en.wikipedia.org
- How Does Vitamin-E helps in Hair Growth - Traya: https://traya.health/blogs/hair-care/vitamin-e-for-hair-growth