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पीसीओडी क्या है? PCOD meaning in Hindi


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आपने अक्सर दो टर्म्स PCOD और PCOS के बारे में सुना होगा। परंतु क्या आप इन दोनों के बारे में जानते हैं? क्या आप जानते हैं कि पीसीओएस क्या होता है? क्या आपको PCOD meaning in Hindi पता है? अगर नहीं तो यह ब्लॉग आपकी न सिर्फ इन दोनों टर्म्स के बारे में बताएगा बल्कि महिलाओं से जुड़ी इन समस्याओं के बारे में विस्तारपूर्वक आपको जानकारी भी देगा। 

दरअसल PCOD और PCOS दोनों ही महिलाओं से जुड़ी समस्याएं हैं जिसमें उनके शरीर का हार्मोन संतुलन बिगड़ जाता है, पीरियड आने में दिक्कतें होने लगती हैं, शरीर के कई हिस्सों में तेजी से बाल बढ़ने लगते हैं, मुंहासों की समस्या बढ़ जाती है और साथ ही, वजन भी बढ़ जाता है। इसके अलावा अन्य कई गंभीर बीमारियों के जन्म लेने का खतरा भी बढ़ जाता है। 


PCOD meaning in Hindi (पीसीओडी का अर्थ हिंदी में )

PCOD का फुल फॉर्म Polycystic Ovary Disease होता है। पीसीओडी एक ऐसी स्थिति का वर्णन करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है जिसमें अंडाशय पर कई छोटे सिस्ट विकसित हो जाते हैं जिसकी वजह से महिलाओं के शरीर में हार्मोन असंतुलित हो जाता है। पीसीओडी की वजह से पीरियड का न आना, वजन बढ़ना, मुंहासे की समस्या होना जैसी समस्याएं जन्म ले लेती हैं।

इसकी वजह से टाइप 2 डायबिटीज, मोटापा, मानसिक स्वास्थ्य का बिगड़ जाना जैसी समस्याएं दिखाई दे सकती हैं। इसलिए पीसीओडी की समस्या होने पर डॉक्टर के सलाह के पश्चात इसका उपचार किया जाना चाहिए। आमतौर पर पीसीओडी कम खतरनाक होता है पीसीओएस के मुकाबले, इसे सिर्फ अपनी लाइफस्टाइल और खानपान में बदलाव करके ही ठीक किया जा सकता है।


पीसीओडी क्या होता है? (PCOD kya hota hai)

आपने ऊपर जाना कि PCOD meaning in Hindi क्या है, आइए अब विस्तार से इस शारीरिक समस्या को समझते हैं। हम आपको एक आसान से उदाहरण की मदद से पीसीओडी की समस्या और इससे जुड़ी पूरी प्रक्रिया को समझाएंगे।

एक लड़की/महिला के शरीर में कई स्पेशल हार्मोन्स मौजूद होते हैं जिनका कार्य अलग अलग होता है। जैसे कुछ हार्मोन्स बाल बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होते हैं तो वहीं कुछ पीरियड्स को कंट्रोल करते हैं तो कुछ मूड को नियंत्रित करते हैं। लेकिन जब पीसीओडी की समस्या होती है तो ये सारे कार्य गड़बड़ा जाते हैं, यानि सभी हार्मोन्स अपने कार्य को सुचारू रूप से करने में अक्षम होने लगते हैं। 


यह समस्या होने पर सारे हॉर्मोंस कन्फ्यूज हो जाते हैं और अपने कार्यों को सुचारू रूप से करने में असफल हो जाते हैं। इससे समय पर अंडों का विकास नहीं हो पाता जिससे ओवुलेशन की प्रक्रिया सही समय पर शुरू नहीं हो पाती। साथ ही, अगले पीरियड के लिए जरूरी प्रक्रिया में भी बाधा पड़ती है जिससे पीरियड्स का देरी से आना या न आना भी शुरू हो जाता है।


पीसीओडी क्यों होता है (Why does PCOD occur) 

आपने ऊपर जाना कि पीसीओडी क्या होता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर यह समस्या जन्म ही क्यों लेती है? ऐसे कौनसे कारण होते हैं जिसकी वजह से यह समस्या जन्म लेती है? इसका एकदम सटीक कारण अभी तक किसी को नहीं पता चल सका है, इसलिए लगातार शोध जारी है। लेकिन नीचे हम कुछ ऐसे कारणों की जानकारी आपको देंगे जो पीसीओडी की समस्या को जन्म देने की वजह हो सकता है।


1. लाइफस्टाइल और खानपान में बदलाव (Change in lifestyle and diet)

अगर आप ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करती हैं जो प्रोसेस्ड या जंक होता है तो पीसीओडी होने का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही sugary drinks और refined carbohydrates का सेवन भी पीसीओडी का एक कारण हो सकता है। इसके अलावा अच्छी नींद न लेना, शरीर को एक्टिव न रखना, हेल्थी भोजन न करने से भी पीसीओडी होने का खतरा रहता है।


2. Male hormones में वृद्धि होना (increase in male hormones)

Male hormones में वृद्धि होना भी पीसीओडी का एक प्रमुख कारण हो सकता है। Male hormone यानि androgens के महिलाओं में बढ़े हुए स्तर से अनचाहे स्थानों पर बालों का उगना शुरू हो जाता है। साथ ही इसकी वजह से मुंहासे के साथ पीरियड्स का समय पर न आना भी शुरू हो जाता है। Androgens और male hormones महियालों के ओवरीज यानि अंडाशय से अंडों को बाहर निकलने में बाधा उत्पन्न करते हैं।


3. परिवार में पीसीओडी का इतिहास (History of PCOD in the family)

पीसीओडी का एक कारण पारिवारिक इतिहास भी है। अगर आपके परिवार में पहले से कोई पीसीओडी से परेशान रहा है तो ज्यादातर संभावना है कि आप भी इस समस्या से जूझेंगे। यह देखा गया है कि आज परिवार में मां या बहनों को पीसीओडी या डायबिटीज टाइप 2 की समस्या है तो आपको भी पीसीओडी होने की संभावना बढ़ जायेगी।


4. वजन का बढ़ना (Weight gain may cause PCOD)

मोटापा या शरीर का बढ़ा हुआ वजन भी पीसीओडी का एक कारण हो सकता है। हालांकि पीसीओडी और मोटापा के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है लेकिन कई अध्ययनों में यह पाया गया है कि वजन को कम करने या नियंत्रित करने से पीसीओडी के जोखिम को कम किया जा सकता है।


PCOD कैसे होता है (PCOD kaise hota hai)

PCOD होने के कुल तीन चरण होते हैं। आइए बेहद ही आसान शब्दों में समझते हैं कि पीसीओडी कैसे होता है:

1. महिलाओं के अंडाशय में egg sacks मौजूद होते हैं जिसमें अंडे मौजूद होते हैं। ये अंडे आगे आने वाले पीरियड के लिए विकास करते हैं। लेकिन जब PCOD की समस्या हो जाती है तो इन अंडों का सही से विकास नहीं हो पाता बल्कि वे छोटे छोटे cysts में बदल जाते हैं। ये Cysts हालांकि खतरनाक नहीं होते हैं।

2. जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया, महिलाओं के शरीर में ढेरों हार्मोन्स बनते हैं और उनका कार्य अलग अलग होता है। लेकिन PCOD meaning in Hindi की समस्या में हार्मोन्स का उत्पादन असंतुलित हो जाता है और वे अपने कार्य को लेकर कन्फ्यूज भी हो जाते हैं। 

3. तीसरी चीज होती है आपके पीरियड्स को लेकर, जोकि इरेगुलर हो जाता है। जब आपके हार्मोन्स असंतुलित हो जाते हैं तो पीरियड्स आने की पूरी प्रक्रिया ही बिगड़ जाती है जिससे या तो पीरियड्स रुक रुक कर आते हैं या आना ही बंद हो जाता है। 


पीसीओडी के लक्षण क्या हैं (PCOD symptoms in Hindi)

PCOD होने पर शरीर में कई लक्षण दिखाई देते हैं। आइए पीसीओडी के लक्षण को बारीकी से समझते हैं ताकि जब आपको यह समस्या हो तो आप तुरंत समझ सकें और इसका जरूरी उपचार कर सकें।


1. पीरियड्स का असंतुलित होना (Imbalance of periods)

पीसीओडी का पहला लक्षण है असंतुलित पीरियड्स। अगर आपके पीरियड्स रुक रुक कर आ रहे हैं या समय पर नहीं आ रहे हैं यानि oligomenorrhea या बिलकुल ही नहीं आ रहे हैं यानि amenorrhea तो समझ लीजिए कि यह पीसीओडी का पहला और प्रमुख लक्षण है। 


2. पीरियड्स में स्राव अधिक होना (excessive bleeding during periods)

पीसीओडी का दूसरा लक्षण है सामान्य से अधिक ब्लीडिंग का होना। अगर अचानक से पीरियड के दौरान ब्लीडिंग ज्यादा हो रही है और रुक नहीं रही तो यह पीसीओडी का लक्षण हो सकता है। 


3. अनचाही जगहों पर तेजी से बाल बढ़ना या बाल का झड़ना (rapid hair growth or hair loss)

PCOD in Hindi की समस्या में एक अजीब बात यह होती है कि जो हार्मोन्स पुरुषों में बाल बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होता है यानि Androgen, महिलाओं में असर दिखाना शुरू हो जाता है। आमतौर पर यह हार्मोन पुरुषों में अधिकतम मात्रा में मौजूद होता है। इससे आपके चेहरे, पेट, छाती, पीठ पर अनचाहे बाल उगना शुरू हो जायेंगे। लेकिन सबसे अजीब बात तो तब होती है जब आपके सिर के बाल झड़ने शुरू हो जायेंगे। पीसीओडी समस्या ही ऐसी है जिसमें हार्मोन्स कन्फ्यूज हो जाते हैं।


4. मुंहासे की समस्या का जन्म लेना (The problem of acne arises)

पीसीओडी की समस्या होने पर आप पाएंगे कि अचानक से मुंहासे की समस्या शुरू हो गई है। इसके साथ ही त्वचा भी तैलीय यानि ऑयली हो जाती है। इसका कारण भी Androgen ही होता है जोकि आमतौर पर पुरुषों में मौजूद होना चाहिए, असर आपके शरीर में दिखाना शुरू कर देता है।

 

5. संतान प्राप्ति में दिक्कतें आना (Difficulties in conceiving a child)

पीसीओडी की समस्या में गर्भधारण करने में कई दिक्कतें हो जाती हैं। पीसीओडी की समस्या में अंडे सही ढंग से विकसित नहीं होते हैं, जिससे ओवुलेशन समय पर नहीं होता है। इस वजह से बार बार कोशिश करने पर भी गर्भ धारण करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ जाता है। 

तो इस तरह आपने जाना कि PCOD problem symptoms in Hindi क्या है। अगर ये तीनों लक्षण आपको दिखाई दे रहे हैं तो समझ लीजिए कि आप पीसीओडी की समस्या से जूझ रहे हैं। ऐसे में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।


पीसीओडी का घरेलू उपचार क्या है (What is the home remedy for PCOD)

पीसीओडी की समस्या होने पर आपको आमतौर पर डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। हालंकि कुछ घरेलू उपचार अपनाकर आप इस समस्या से छुटकारा पा सकती हैं। आइए जानते हैं कि पीसीओडी का घरेलू उपचार क्या हैं।


1. मुलेठी (Licorice)

पीसीओडी का घरेलू उपचार किया जा सकता है मुलेठी की मदद से। मुलैठी के नियमित सेवन से पीसीओडी का इलाज सम्भव है। मुलैठी के जड़ का उपयोग सदियों से पारंपरिक चिकित्सा में किया जाता रहा है, और कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि पीसीओडी से पीड़ित लोगों के लिए संभावित लाभ हो सकते हैं। 

मुलैठी में ऐसे यौगिक पाए जाते हैं जो हार्मोन्स के असंतुलन को ठीक करते हैं। साथ ही ये शरीर में टेस्टोस्टेरोन और कॉर्टिसोल हार्मोन्स को भी नियंत्रित करने का कार्य करते हैं। इसके अलावा, मुलेठी में सूजनरोधी गुण होते हैं, जो पीसीओडी से जुड़ी सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं। 


2. एलोवेरा जेल (Aloe vera Gel)

एलोवेरा जेल भी पीसीओडी से निपटने में आपकी मदद कर सकता है। कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि एलोवेरा जेल पीसीओडी से पीड़ित महिलाओं में हार्मोन के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है, संभवतः स्टेरॉइडोजेनेसिस में शामिल एंजाइमों को प्रभावित करके। साथ ही, कुछ जानवरों के अध्ययन से संकेत मिलता है कि एलोवेरा जेल इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार कर सकता है, जो पीसीओडी रोगियों के लिए फायदेमंद हो सकता है।

इसके अलावा आपको पता होना चाहिए कि एलोवेरा जेल में सूजन-रोधी गुण होते हैं, जो संभावित रूप से पीसीओडी लक्षणों से जुड़ी सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं। हालांकि अभी भी अधिक शोध करने की आवश्यकता है।


3. मछली का तेल (Fish oil)

नियमित रूप से मछली के तेल के सेवन भी काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। अध्ययनों से पता चलता है कि मछली का तेल आपके शरीर द्वारा इंसुलिन का उपयोग करने के तरीके में सुधार कर सकता है, जो पीसीओडी से संबंधित इंसुलिन प्रतिरोध वाले लोगों के लिए फायदेमंद है। ओमेगा-3एस में सूजन-रोधी गुण होते हैं, जो अनियमित मासिक धर्म और मुँहासे से जुड़ी पीसीओडी से संबंधित सूजन के लिए संभावित रूप से सहायक होते हैं।

इसके अलावा, मछली का तेल ट्राइग्लिसराइड्स को कम कर सकता है और एचडीएल कोलेस्ट्रॉल में सुधार कर सकता है, जिससे पीसीओडी से जुड़े हृदय रोग का खतरा कम हो सकता है। कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि ओमेगा-3 मासिक धर्म की नियमितता और ओव्यूलेशन में सुधार कर सकता है, जिससे संभावित रूप से प्रजनन क्षमता बढ़ सकती है जोकि पीसीओडी में एक बड़ी समस्या होती है।


4. दालचीनी (Cinnamon)

मसालों के रूप में इस्तेमाल में लाई जाने वाली दालचीनी भी पीसीओडी की समस्या में मदद कर सकती है। दालचीनी पीसीओएस वाले लोगों को हार्मोन कम करने और इंसुलिन और कोलेस्ट्रॉल के स्तर में सुधार करने में मदद कर सकती है। यह आपके पीरियड्स को नियमित करने में भी मदद कर सकता है। 

दालचीनी में सिनामाल्डिहाइड नामक एक प्राकृतिक रसायन होता है, जो अध्ययनों से पता चलता है कि हार्मोन प्रोजेस्टेरोन बढ़ाता है और महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन का उत्पादन कम करता है, जिससे हार्मोन को संतुलित करने में मदद मिलती है। ऐसे में दालचीनी का नियमित सेवन पीसीओडी को मैनेज करने में उपयोगी है।


5. अलसी के बीज (Flaxseeds)

अलसी या तीसी के बीज भी पीसीओडी की समस्या को दूर करने में काफी मददगार साबित हो सकता है। वर्तमान अध्ययन के निष्कर्षों से पता चला है कि 12 सप्ताह तक अलसी के पूरक से पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में शरीर के वजन, कमर की परिधि और बीएमआई में उल्लेखनीय कमी आई है। 

इसके अलावा NIH के मुताबिक जब महिलाओं के एक समूह जो पीसीओडी से जूझ रहा था, को अलसी के बीज का सप्लीमेंट दिया गया तो पीसीओडी के लक्षणों में काफी सुधार हुआ और साथ ही अंडाशय में बनने वाले cysts में भी कमी आई। हार्मोन संतुलन, विशेषकर एस्ट्रोजन संतुलन को बढ़ावा देने के लिए अलसी के बीज सबसे लोकप्रिय खाद्य पदार्थों में से एक हैं।


पीसीओडी और गर्भावस्था के बीच क्या संबंध है (Relation between PCOD and pregnancy)

PCOD और गर्भ धारण करने का सीधा संबंध है। कैसे? आइए आसान शब्दों में समझते हैं। सामान्य रूप से हर महिला महीने में एक बार पीरियड्स की प्रक्रिया से गुजरती है, जोकि प्रेगनेंसी के लिए जरूरी होता है। लेकिन जब पीसीओएस होता है तो हार्मोन असंतुलित हो जाते हैं जोकि पीरियड्स लाने के लिए भी जरूरी होते हैं। हार्मोन्स का यह असंतुलन पीरियड्स के साथ साथ ovulation को भी डिस्टर्ब करता है।

ओवुलेशन एक ऐसा समय है जब female eggs फर्टिलाइज्ड होने के लिए तैयार होते हैं। लेकिन पीसीओडी की समस्या में इन अंडों का सही ढंग से विकास नहीं हो पाता जिससे ओवुलेशन की प्रक्रिया बाधित होती है। इसके अलावा पीसीओडी की समस्या होने पर शरीर में Androgen level बढ़ जाता है जिससे पीरियड्स का समय पर न आने की समस्या शुरू हो जाती है। अगर ओवुलेशन और पीरियड्स का आना समय पर नहीं होगा तो फिर गर्भ धारण करने में दिक्कतें आएंगी हीं।


क्या पीसीओडी का इलाज संभव है (Is PCOD curable)

पीसीओडी का इलाज बिलकुल संभव है बल्कि यह कोई बीमारी न होकर के शरीर की प्रतिक्रिया है, जिसे आप शारीरिक समस्या कह सकते हैं। लेकिन इसका स्थाई इलाज थोड़ा मुश्किल जरूर है क्योंकि आजतक वैज्ञानिक और चिकित्सा विज्ञान पीसीओडी/पीसीओएस के सही कारणों का पता लगाने में असमर्थ रहा है। लेकिन कुछेक तरीके हैं जिससे पीसीओडी का इलाज संभव है:


1. हार्मोनल थेरेपी

हार्मोनल थेरेपी की मदद से पीसीओडी का इलाज संभव है। इसमें आमतौर पर आपको birth control pills दिए जाते हैं जो पीरियड्स को नियमित करने, मुंहासों को कम करने और प्रजनन क्षमता में सुधार करने में मदद कर सकता है। सबका शरीर अलग अलग है और इसलिए बिना डॉक्टर की परामर्श के बर्थ कंट्रोल पिल्स नहीं लेना चाहिए। 


2. इंसुलिन सेंसिटाइज़र

PCOD की समस्या को दूर करने में इन्सुलिन सेंसिटाइज़र भी महत्वपूर्ण माना जाता है। दरअसल पीसीओडी का एक कारण इन्सुलिन संवेदनशीलता में कमी भी होती है। ऐसे में इंसुलिन सेंसिटाइज़र दवाएं जैसे metformin आपके शरीर को इंसुलिन का अधिक प्रभावी ढंग से उपयोग करने में मदद दे सकता है।


3. वजन प्रबंधन 

जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया कि वजन और पीसीओडी का सीधा संबंध अभी तक पता नहीं लगाया जा सका है, लेकिन अध्ययन इस ओर अवश्य इशारा करते हैं कि वजन प्रबंधन करने से पीसीओडी के लक्षणों में कमी आती है। ऐसे में जरूरी है कि आप बढ़े हुए वजन को कम करें और रोजाना एक्सरसाइज योग करें। यहां तक कि वजन में मामूली कमी (5-10%) भी अनियमित मासिक धर्म, इंसुलिन प्रतिरोध और प्रजनन संबंधी समस्याओं जैसे लक्षणों में काफी सुधार कर सकती है।


4. संतुलित आहार

आप रोजाना किस प्रकार के भोजन का सेवन करते हैं यह भी पीसीओडी पर प्रभाव डालता है। जंक फूड और शर्करा युक्त पेय को सीमित करते हुए फलों, सब्जियों और साबुत अनाज से भरपूर स्वस्थ, संतुलित आहार अपनाना फायदेमंद हो सकता है। ऐसे में अगर आपको पीसीओडी की समस्या है तो सिर्फ और सिर्फ स्वस्थ भोजन का ही सेवन करें।


5. योग और एक्सरसाइज

रोजाना योग और एक्सरसाइज करना भी पीसीओडी की समस्या से मुक्ति दिलाने में कारगर है। नियमित शारीरिक गतिविधि वजन को नियंत्रित करने, इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार करने और पीसीओडी से जुड़ी अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिम को कम करने में मदद करती है।


PCOS और PCOD में क्या अंतर है (Difference between PCOS and PCOD in Hindi)

PCOS और PCOD कई मायनों में एक जैसे ही हैं, लेकिन इन दोनों के बीच कुछ अंतर भी हैं जिन्हें समझना जरूरी है। जहां एक तरफ PCOS का फुल फॉर्म Polycystic Ovary Syndrome होता है तो वहीं PCOD full form in Hindi को Polycystic Ovary Disorder कहा जाता है। आइए नीचे दिए टेबल की मदद से इन दोनों के बीच के अंतर को समझते हैं।

तो इस तरह अपने देखा कि पीसीओडी और पीसीओएस में क्या अंतर है। एक तरह से देखा जाए तो पीसीओएस ही मुख्य टर्म है जिसे डॉक्टरों ने पीसीओडी कर दिया है। पीसीओडी पीसीओएस के मुकाबले कम खतरनाक स्तिथि को दर्शाता है। 


पीसीओडी में क्या खाना चाहिए (PCOD me kya khana chahiye)

पीसीओडी में कई ऐसे खाद्य पदार्थ हैं जिनका परहेज करना चाहिए तो वहीं ढेरों इसे खाद्य पदार्थ हैं जिसका आपको अवश्य ही सेवन करना चाहिए। नीचे हम आपको जिन खाद्य पदार्थों के बारे में जानकारी दे रहे हैं, इनका सेवन करके पीसीओडी की समस्या को दूर किया जा सकता है:

  • ‌पत्तेदार सब्जियाँ जैसे केल, पालक, कोलार्ड साग
  • ‌ब्लूबेरी, स्ट्रॉबेरी, रास्पबेरी
  • ‌सैल्मन, ट्यूना, मैकेरल जैसी वसायुक्त मछलियाँ
  • ‌बादाम, अखरोट, चिया बीज जैसे मेवे और बीज
  • ‌फलियाँ जैसे बीन्स, दाल, चना
  • ‌एवोकाडो
  • ‌ग्रीक दही (बिना चीनी)
  • ‌अंडे
  • ‌मीठा आलू 
  • ‌ग्रीन टी

पीसीओडी में क्या नहीं खाना चाहिए (PCOD me kya nahi khana chahiye)

अगर आप पीसीओडी की समस्या से जूझ रही हैं तो कुछ खाद्य पदार्थों से आपको परहेज करना चाहिए। आइए जानते हैं कि वे खाद्य पदार्थ कौन कौन से हैं जिन्हें पीसीओडी की समस्या में नहीं खाना चाहिए:

  • ‌सफ़ेद ब्रेड, पेस्ट्री, कुकीज़, मीठा अनाज, सफ़ेद चावल, स्नैक्स
  • ‌सोडा, फलों का रस, एनर्जी ड्रिंक्स
  • ‌सॉस, मसाले, दही
  • ‌फ्रेंच फ्राइज़, फ्राइड चिकन, चिप्स
  • ‌लाल मांस और प्रोसेस्ड मांस
  • ‌मक्खन, मार्जरीन और व्यावसायिक रूप से पके हुए सामान
  • ‌मदिरापान और धूम्रपान
  • ‌डेयरी उत्पाद

 

पीसीओडी में पीरियड कैसे लाए (How to get period in PCOD)

पीसीओडी की समस्या में सबसे बड़ी समस्या ही होती है पीरियड्स आने की। इस समस्या से जूझ रही महिलाएं पीरियड्स न आने या पीरियड्स का असमय आने से परेशान रहती हैं। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि पीसीओडी में पीरियड कैसे लाएं? क्या पीसीओडी की समस्या में पीरियड लाया जा सकता है? इसका उत्तर है हां, लेकिन नीचे दिए टिप्स को फॉलो करके:

1. अपने वजन को कम करें। अगर आप अपने वजन को 5 से 10 प्रतिशत भी कम करती हैं तो पीसीओडी की समस्या में राहत मिल सकती है।

2. फलों, सब्जियों, साबुत अनाज और लीन प्रोटीन से भरपूर संतुलित आहार चुनें।

3. सप्ताह के अधिकांश दिनों में कम से कम 30 मिनट की एक्सरसाइज करें।

4. योग, ध्यान या गहरी साँस लेने के व्यायाम जैसी विश्राम तकनीकों का अभ्यास करें।

5. मुलेठी, एलोवेरा और अलसी के बीज का सेवन करें।

6. मदिरापान और धूम्रपान बिल्कुल न करें, यह शरीर में हार्मोनल इंबैलेंस के मुख्य कारण होते हैं।

7. खूब सारा पानी पिएं और जंक फूड को न कहें।

 

निष्कर्ष (Conclusion)

PCOD meaning in Hindi होता है Polycystic Ovarian Disease यानि पॉलीसिस्टिक ओवेरियन रोग। यह चिकित्सीय स्थिति तब होती है जब एक महिला के अंडाशय बड़ी संख्या में अपरिपक्व या आंशिक रूप से परिपक्व अंडे का उत्पादन करते हैं। ये अंडे बड़े होकर cysts बन जाते हैं जिससे पीरियड्स का इरेगुलर आना, गर्भधारण में दिक्कत होना, शरीर में male hormones का बढ़ना आदि आम लक्षण हैं।

पीसीओडी के कई कारण होते हैं, आमतौर पर बढ़ा हुआ वजन, खराब लाइफस्टाइल, मोटापा, तनाव और हार्मोनल इंबैलेंस होता है। साथ ही शरीर में जेनेटिक्स या केमिकल बदलाव की वजह से भी पीसीओडी की समस्या हो सकती है। पीसीओडी के लक्षणों में शामिल हैं बांझपन, मासिक धर्म संबंधी विकार, अत्यधिक बालों का बढ़ना और मोटापा।


अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (Frequently Asked Question)


1. पीसीओडी क्या है?

पीसीओडी एक चिकित्सीय स्तिथि है जिसमें महिला के अंडाशय बड़ी संख्या में अपरिपक्व या आंशिक रूप से परिपक्व अंडे का उत्पादन करते हैं। ये अंडे अपरिपक्व होने की वजह से स्पर्म के साथ फर्टिलाइज नहीं हो पाते और इसलिए cysts के रूप में अंडाशय को प्रभावित करते हैं। इस वजह से पीरियड्स अनियमित होना या बिलकुल न आना जैसी समस्या उत्पन्न होती है।


2. पीसीओडी कैसे होता है?

खराब खानपान, खराब लाइफस्टाइल, वजन को नियंत्रित न रखना, धूम्रपान और मदिरापान का सेवन, अत्यधिक तनाव लेना, संतुलित आहार का सेवन न करने से पीसीओडी होता है।


3. क्या पीसीओडी का इलाज संभव है?

कुछ हद तक पीसीओडी का इलाज सम्भव है लेकिन यह हर व्यक्ति के लिए अलग अलग हो सकता है। पीसीओडी के मुख्य कारणों पर अभी शोध जारी है और इसलिए इसका स्थाई इलाज भी मौजूद नहीं है। हालांकि डॉक्टर आपको इंसुलिन सेंसिटाइज़र और हार्मोनल थेरेपी जैसे हार्मोनल बर्थ कंट्रोल पिल्स के सेवन की सलाह दे सकते हैं। साथ ही अच्छी लाइफस्टाइल और खानपान इस समस्या का निदान कर सकता है।


4. पीसीओडी कितने दिन में ठीक होता है?

पीसीओडी कितने दिन में ठीक होता है यह कहा नहीं जा सकता। अभी तक पीसीओडी का कोई पुख्ता इलाज नहीं निकला है और इसलिए हार्मोनल थेरेपी और इंसुलिन सेंसिटाइज़र का असर कितने दिन में होगा, आप इस समस्या से कितने दिनों में छुटकारा पा सकते हैं इसको लेकर कोई भी पुख्ता जानकारी मौजूद नहीं है।


5. पीसीओडी क्यों होता है?

पीसीओडी होने के कई कारण हो सकते हैं। इसका पहला कारण है मोटापा। इसके अलावा अगर परिवार में किसी को पीसीओडी की समस्या रही है तो आपको भी हो सकती है। साथ ही खराब खानपान, खराब लाइफस्टाइल, मदिरापान और धूम्रपान, तनाव और शरीर को एक्टिव न रखने से पीसीओडी हो सकता है।


6. पीसीओडी का लक्षण क्या है?

पीसीओडी के कई लक्षण हैं। अगर आप पीरियड अनियमित है या बिलकुल रुक सा गया है, बाल झड़ना शुरू हो गए हैं, शरीर में अनचाही जगहों पर बाल उगना शुरू हो गए हैं, बार बार मूड स्विंग्स होता है, मोटापा और बांझपन की समस्या हो गई है तो ये सभी पीसीओडी के ही लक्षण हैं।


7. पीसीओडी का घरेलू उपचार क्या है?

पीसीओडी का घरेलू उपचार करने के लिए आपको रोजाना खूब सारा पानी पीना चाहिए, संतुलित आहार का सेवन करना चाहिए, रोजाना कम से कम 30 मिनट तक योग और एक्सरसाइज करना चाहिए। इसके साथ ही अलसी के बीज, मुलैठी, एलोवेरा का इस्तेमाल पीसीओडी की समस्या से निजात दिला सकता है लेकिन ऐसा आवश्यक नहीं है।


8. पीसीओडी में पीरियड कैसे लाए?

पीसीओडी में पीरियड लाने के लिए आपको रोजाना ढेर सारा पानी पीना चाहिए, संतुलित भोजन का सेवन करना चाहिए, तनाव से दूर रहना चाहिए, जंक फूड बिल्कुल नहीं खाना चाहिए, कम से कम 30 मिनट तक एक्सरसाइज करनी चाहिए। इसके अलावा हल्दी, अदरक और गर्म पानी का सेवन पीसीओडी में पीरियड लाने में मदद कर सकता है।


References

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Dr. Kalyani Deshmukh, M.D.

Dermatologist

Dr. Deshmukh is an MD (Dermatology, Venerology, and Leprosy) with more than 4 years of experience. She successfully runs her own practice and believes that a personalized service maximizes customer satisfaction.

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Reviewed on 6th Nov 2021

I was losing hair due to stress and other things but Traya analyzed everything perfectly and sent me a treatment plan. After such great results, my relatives have also started using Traya. Thank you, Raveena my Hair coach (you are wonderful) for such amazing help. On complete Traya recommended plan. read more

Month 1

Month 4

Month 6

Swati Verified review
4.5

Reviewed on 17th August 2021

It takes time guys, but you won't regret it. My hair grew back stronger and my overall hair quality improved. Thank you Raveena, my hair coach, she really held me accountable and kept me on track. Super happy customer. On complete Traya recommended plan. read more

Google Review

★★★★★

I feel much better after taking up the treatment. The treatment does not just include tablets and minoxidil.

Treatment includes ensuring proper sleep cycle and proper diet. Surely there is notable changes after 9 months of treatment.

TheCmayil

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★★★★★

As a mother,I was extremely worried about my teenage daughter's hair condition. I chanced upon Traya and approached you.A very helpful team always making sure that a regular follow up is done.The hair health has improved a lot since I started and I am very pleased with the results. Thank you Traya..Thank you Mallika for being just a call away.

SANJUKTA SANYAL

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★★★★★

I am 25 years old. I have androgenic alopecia. couple of months back I found traya and started its medication. now I am happy with its result. most important thing is patience and consistency. diet is also a key factor. I recommend traya 100%. good customer service.the sooner the better

jithu thomas

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★★★★★

Before trying traya i had used a lot of other meditation too... Traya was the only one which gave me the best positive results for my hair... Grateful to them

LOKJEET RANAA..

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★★★★★

I have been following Traya regime since last 9 months now and the results are all to speak for. I had issues regarding hair density and patches. Now I am very much happy and satisfied with the results. In short, Quality & Quantity both have improved for me. Infact, it has been helpful for my body balance as well. Thanks to Sneha for all the help and Cheers to the Traya team👍 👍 👍

Devarshi Desai

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★★★★★

It's all about patience and consistency. Traya helped me to grow my hair back, as well as to live a healthy lifestyle with the customized diet. Before Traya I lost all my hopes. If a person like me can grow my hairs back., I'm 100℅ sure with the help of Traya everyone who is facing hair fall issues can grow back their hair. Trust me it's worth it.

Shubham Nikam

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★★★★★

TRAYA'S hairfall treatment has been of great help in reducing my hairfall issue and also regrowing new hair. Also the support staff Poornima who was assigned to me has been very helpful as she checked on my progress, provided diet plans and answering any questions regarding the medication. A great experience overall.

rohit daz

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★★★★★

TRAYA'S hairfall treatment has been of great help in reducing my hairfall issue and also regrowing new hair. Also the support staff Poornima who was assigned to me has been very helpful as she checked on my progress, provided diet plans and answering any questions regarding the medication. A great experience overall.

rohit daz

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★★★★★

Since i have started using Traya hair care regime, my hair have really improved a lot. This regime is also helping me in stress management and to get better sleep. I would highly recommend Traya.

Bhawana Singh

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★★★★★

The product is very good
The results were visible after 15 itself
Must try essential hair food

Sonia Hair Studio

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★★★★★

IT WORKS! I'm not someone who falls for a trap easily so I researched well before taking this treatment! My research, their treatments and efforts have truly shown results. I like their concept of 3 sciences, it was new to me but they proved it by giving me my desired results! Thanks Tatva

Kiran Rajput

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Disclaimers

The claims and results mentioned are based on multiple internal studies and customer research surveys that Traya has conducted with a statistically significant sample size of users who were under expert observation and guidance

93% saw results*

Traya conducted an internal study over both men and females facing hair fall and 93% saw results* after using the complete Traya treatment consistently for a period of 5 months. This study was conducted in December 2022. 

5-month money-back guarantee

Traya’s 100% money-back policy is valid only if you have been regular with the complete treatment plan for a period of 5 whole consecutive months. Each customised hair kit is valid for only 30 days. If any individual has not seen any regrowth or control in hair fall, you can ask for a refund. However, once you apply for the 5-month - money-back policy, the team would then do a thorough check on consumer regularity based on every order date. An exception to this policy is for those customers undergoing serious health conditions like autoimmune diseases and cancer. 

Traya’s Holistic 3 Science Formula 

Traya’s 3 Science Formula is a synergistic mix of Ayurveda, Allopathy & Food Science designed specifically to cater to hair loss conditions stemming from multiple root causes. With clinically tested ingredients and adaptogenic herbs, Traya’s Science-Backed formula clears internal blockages and boosts hair regeneration naturally. When blended with a healing dietary plan, it delivers great results in attaining long-term hair growth. 

Traya Free hair test (™) 

Traya’s Hair Dx test is powered by a proprietary algorithm to examine a user's hair & health profile. With the help of a distinctive image-capturing technique & physician- formulated examination, it is able to precisely diagnose the type, stage & root causes of a certain hair loss condition. 

2 lakh+ Indians 

Traya Free hair test (™) has been taken by more than 2 lakh+ Indians - Data acquired from Traya customers. 

Ayush Certified  - Digest Boost, Cholest Vati and Consti Clear are Ayush Certified Products.

Traya’s Ayurvedic Products are based on natural and Ayurvedic formulations. These are completely safe for human use, but it is possible that certain ingredients may cause allergic reactions to some individuals. 

Accurate hair diagnosis 

The Traya free hair test (™) is a proprietary algorithm developed with the help of our in-house doctors that provides Accurate hair and health diagnosis, provided you mention all the correct details about yourself. It gives a precise diagnosis about the type, stage and root cause of a specific hair fall condition.

Long Lasting Visible Hair Results 

Traya’s complete treatment gives visible and long-lasting results provided you’re on Traya’s hair maintenance kit. Since Traya works on the internal root causes of hair fall and hence our customers have seen long lasting results

Trusted by 70+ Doctors

Traya has been tried and loved by over 70 doctors all over India to maintain healthy hair growth. 

Award Winning Trusted Brand

India’s Healthcare Excellence initiated by Brands Impact has awarded Traya as the Most Effective Haircare Product of the Year 2022 

FDA approved ingredients 

Traya contains hair growth actives like minoxidil and DHT blocker which are FDA approved to treat hair fall. These are completely safe for human use, but it is possible that certain ingredients may cause allergic reactions to some individuals.

 

Traya Women Santulan (™)

Traya’s Women Santulan is a unique technology that uses a combination of herbs treated in a specific manner (kalpa) to meet the bio-specific needs of women going through different stages of life. Santulan is a supplementary range to Traya’s 3 Science Formula which balances and nourishes the body inside-out delivering long-lasting hair growth results and overall health.

Hair Growth Plan starts at Rs 1699 pm* - The price mentioned is for a male of age 23 with stage 1 type hair fall based on the results of the hair test taken on the website. Prices may vary for individual customers depending on the results of the hair test and internal root causes

Hair Growth Plan starts at Rs 2000 pm* - The price mentioned is for a male of age 25 with stage 1 type hair fall based on the results of the hair test taken on the website. Prices may vary for individual customers depending on the results of the hair test and internal root causes

What's Causing Your Hair Fall?

Take Traya's FREE 2-minute hair test, designed by doctors that analyses 20+ factors like genetics, scalp health, lifestyle, and hormones, to identify the root causes of your hair fall.

Take The Free Hair TestTM