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एमसीएचसी टेस्ट क्या है और क्यों कराया जाता है? | MCHC Blood test in Hindi


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MCHC Blood Test एक व्यक्ति के खून में हीमोग्लोबिन की सांद्रता (concentration) को मापता है। इस टेस्ट का पूरा नाम  Mean Corpuscular Hemoglobin Concentration है। हिमोग्लोबिन का स्तर रक्त में सामान्य होना बहुत जरूरी है क्योंकि इसकी ही मदद से शरीर के सभी भागों तक ऑक्सीजन और जरुरी पोषक तत्वों को ट्रांसपोर्ट किया जाता है। 

अगर MCHC टेस्ट का लेवल सामान्य है तो इसका अर्थ यह हुआ कि आपकी लाल रक्त कोशिकाएं सामान्य मात्रा में हीमोग्लोबिन ले जा रही हैं। आमतौर पर यह टेस्ट CBC Test के अंतर्गत ही कराया जाता है जिसका मकसद खास तौर पर एनीमिया की जांच करना होता है। इस आर्टिकल में हम आपको विस्तार से जानकारी देंगे कि एमसीएचसी ब्लड टेस्ट (Mchc Blood Test In Hindi) क्या है, कैसे किया जाता है, नॉर्मल रेंज क्या है, आदि।


एमसीएचसी ब्लड टेस्ट क्या है (Mchc Blood Test In Hindi)

MCHC Blood Test जिसे Mean Corpuscular Hemoglobin Concentration test कहते हैं, रक्त की कोशिकाओं में हीमोग्लोबिन की औसत सांद्रता की जांच करता है। हीमोग्लोबिन हमारे पूरे शरीर में ऑक्सीजन और अन्य जरूरी पोषक तत्वों को पहुंचाने के लिए आवश्यक होता है और इसलिए इस टेस्ट का सामान्य होना जरूरी है। इस टेस्ट का रिजल्ट सामान्य आने का अर्थ है कि आपकी लाल रक्त कोशिकाएं सामान्य मात्रा में हीमोग्लोबिन ले जा रही हैं।

CBC Test यानि Complete Blood Count Test के अंतर्गत ही इस टेस्ट को करवाया जाता है। इस टेस्ट को करवाने का आमतौर पर मुख्य मकसद एनीमिया की जांच और इलाज करना होता है। डॉक्टर सीबीसी टेस्ट और एमसीएचसी टेस्ट दोनों के परिणामों के आधार पर पता करते हैं कि एनीमिया का जोखिम कितना है और उपचार किस स्तर पर करना है।

ध्यान दें कि एमसीएचसी का स्तर सामान्य से कम होने या बढ़ने दोनों ही परिस्थितियों में बाल झड़ने की समस्या प्रकट हो सकती है जिसके बारे में हम आगे बात करेंगे। अगर आप तेजी से बाल झड़ने की समस्या से परेशान हैं तो अभी Free Hair Test दें। यह टेस्ट आपके बाल झड़ने का सटीक कारण पता लगाता है जिससे सफल ट्रीटमेंट में मदद मिलती है। टेस्ट फ्री है, घर बैठे स्मार्टफोन की मदद से दिया जा सकता है। 

 

एमसीएचसी बढ़ने पर क्या होता है (What if MCHC increases)

अगर MCHC Test result सामान्य से अधिक है तो यह घबराने वाली बात है। बड़े हुए एमसीएचसी लेवल को hyperchromia भी कहा जाता है जिसका अर्थ है कि कुछ बड़ी परेशानियां जन्म ले सकती हैं। आइए जानते हैं कि बड़े हुए एमसीएचसी लेवल का अर्थ क्या है।


1. ब्लड क्लोटिंग का जोखिम बढ़ जाता है (The risk of blood clotting increases)

एमसीएचसी बढ़ने पर blood clotting का जोखिम कई गुना तक बढ़ जाता है। अगर आपके रक्त में हीमोग्लोबिन की औसत मात्रा 36 ग्राम प्रति डेसीलीटर या इससे अधिक है तो ब्लड क्लोटिंग हो सकती है। खून का थक्का जमना अर्थात यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो तब होती है जब रक्त वाहिका क्षतिग्रस्त हो जाती है, जिससे अत्यधिक रक्तस्राव को रोका जा सकता है। इस समस्या में रक्त liquid से gel में बदल जाता है, जिससे रक्त का थक्का बन जाता है।

दरअसल बहुत अधिक हीमोग्लोबिन वाली लाल रक्त कोशिकाएं सघन और चिपचिपी हो जाती हैं। इससे आपकी धमनियों और नसों में रक्त के थक्के बनने की संभावना बढ़ सकती है, जिससे स्ट्रोक, दिल का दौरा या फुफ्फुसीय अन्त: शल्यता जैसी गंभीर जटिलताएँ हो सकती हैं। 


2. अत्यधिक थकान और कमजोरी (extreme fatigue and weakness)

एमसीएचसी बढ़ जाने पर आपको अत्यधिक थकान और कमजोरी का अनुभव भी हो सकता है। उच्च एमसीएचसी स्तर थकान और कमजोरी का कारण बन सकता है क्योंकि उच्च और निम्न दोनों एमसीएचसी स्तर कम ऑक्सीजन परिवहन से जुड़े होते हैं। जब आपके खून की कोशिकाओं में हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ जाता है तो ऑक्सीजन को शरीर के सभी भागों में पहुंचाने की प्रक्रिया सुस्त पड़ जाती है जिससे आपको अत्यधिक कमजोर और थकान का अनुभव हो सकता है।

इससे आपकी कोशिकाओं को आवश्यक ऊर्जा नहीं मिल पाती है, जिससे थकान होती है। इसके अलावा अत्यधिक हीमोग्लोबिन की मात्रा ऑक्सीजन के साथ ही पोषक तत्वों के परिवहन में भी बाधा डाल सकती है जिससे आपके शहरी को आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति न होने के कारण कमजोरी हो सकती है और कुछ मामलों में आप कुपोषण के शिकार भी हो सकते हैं।


3. हार्ट अटैक का जोखिम बढ़ जाना (Increased risk of heart attack)

एमसीएचसी लेवल ज्यादा होने से हार्ट अटैक का खतरा भी कई गुना तक बढ़ जाता है। जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया, रक्त के कोशिकाओं में हीमोग्लोबिन की औसत मात्रा बढ़ने से blood clotting का खतरा बढ़ जाता है। ब्लड क्लोटिंग की वजह से हार्ट अटैक आने का जोखिम भी बढ़ जाता है क्योंकि खून के थक्के को पंप करने में हृदय को मुश्किलों का सामना करना पड़ जाता है।

इसके अलावा, यदि रक्त का थक्का कोरोनरी धमनी को महत्वपूर्ण रूप से अवरुद्ध कर देता है, तो उस धमनी द्वारा आपूर्ति की जाने वाली हृदय की मांसपेशियों को ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। इससे सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ और हार्ट अटैक आ सकता है। खून के थक्के का आकार ही निर्धारित करता है कि हार्ट अटैक का जोखिम है या नहीं। अगर इसका आकार काफी छोटा है तो आपको सीने में दर्द की अनुभूति होगी तो वहीं इसका बड़ा आकार हार्ट अटैक का कारण बनता है।


4. पल्मोनरी एंबोलिज्म का खतरा बढ़ जाता है (Increased risk of pulmonary embolism)

MCHC Level बढ़ जाने का एक बड़ा खतरा यह भी होता है कि आप pulmonary embolism की समस्या से ग्रसित हो सकते हैं। Pulmonary Embolism एक ऐसी समस्या है जिसमें खून के थक्के Pulmonary Artery में जमा होने लगते हैं। यह वही धमनी है जो हृदय से फेफड़े तक रक्त को पहुंचाने का कार्य करती है। ऐसे में अगर एमसीएचसी का स्तर बढ़ जाए तो इस धमनी में खून के थक्के अत्यधिक मात्रा में जमा होकर नली को ब्लॉक कर सकते हैं।

इस ब्लॉकेज से फेफड़ों तक ऑक्सीजन, रक्त और अन्य आवश्यक पोषक तत्वों की पहुंच बाधित हो जायेगी। इससे शरीर के हिस्से सुचारू रूप से कार्य करना बंद कर देंगे, सांस लेने में दिक्कत होने लगेगी, सीने में तेज दर्द होगा, खून की उल्टियां होंगी और कुछ परिस्थितियों में व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है। इसलिए आपको भरसक प्रयास करना चाहिए कि एमसीएचसी का स्तर सामान्य रहे।


5. गर्भावस्था में दिक्कतें आ सकती हैं (Pregnancy complications may arise)

गर्भवती महिलाओं में एमसीएचसी अधिक नहीं होना चाहिए अन्यथा उन्हें कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। खासतौर पर MCHC अधिक होने से गर्भवती महिलाओं में preeclampsia का खतरा बढ़ जाता है। यह एक ऐसी स्तिथि है जिसमें प्रेगनेंसी के दौरान ब्लड प्रेशर काफी बढ़ जाता है। इसके अलावा preterm birth यानि समय से पहले ही बच्चे का जन्म होने की समस्या भी हो सकती है।

एमसीएचसी का स्तर अधिक होने से शरीर में रक्त के थक्के जम सकते हैं। इससे ऑक्सीजन और अन्य जरूरी पोषक तत्वों की डिलीवरी भी बाधित हो सकती है। इससे शिशु को आवश्यक मात्रा में ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की पूर्ति न होने की वजह से विकास रुक सकता है या जन्म दोषों का खतरा बढ़ सकता है। 


एमसीएचसी का स्तर क्यों बढ़ता है (Why does MCHC level increase)

एमसीएचसी तब बढ़ जाती है जब लाल रक्त कोशिकाओं में हीमोग्लोबिन की सांद्रता असामान्य रूप से अधिक हो जाती है। एमसीएचसी का स्तर बढ़ने के कई कारण होते हैं जैसे Hemolytic anaemia, Spherocytosis, Dehydration, लीवर रोग और कुछ थेरेपी। 

अगर आपके रक्त में एमसीएचसी का स्तर बढ़ गया है तो हम आपको सलाह देंगे कि तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और आवश्यक उपचार शुरू करें। साथ ही खानपान में बदल करना, रोजाना एक्सरसाइज करना, खूब सारा पानी पीने की सलाह दी जाती है।


एमसीएचसी कम होने से क्या होता है (What happens when MCHC is low)

एमसीएचसी का स्तर कम होने पर कई समस्याएं जन्म ले सकती हैं। एमसीसीएच कम होने की स्तिथि को hypochromia कहा जाता है जो यह दर्शाता है कि आपकी रक्त कोशिकाओं में हीमोग्लोबिन की औसत मात्रा कम है। इसके कम होने से एनीमिया, सांस लेने में कठिनाई, त्वचा पीली पड़ना, सिरदर्द और चक्कर आना, हाथ पांव का ठंडा पड़ना, सीने में दर्द होने की समस्या शुरू हो सकती है। इसकी वजह से organ damage भी हो सकता है।

 

1. ऑर्गन डैमेज हो सकता है (Organ damage may occur)

एमसीएचसी का स्तर कम होने से आपके ऑर्गन यानी शरीर के अंदरूनी अंग क्षतिग्रस्त हो सकते हैं और कई बड़ी समस्याएं जन्म ले सकती हैं। कम एचएमसीएचसी से सीधे तौर पर तो ऑर्गन डैमेज नहीं होता लेकिन इससे एनीमिया होता है जो ऑर्गन डैमेज का कारण बन सकता है। जैसा कि आप जानते हैं लाल रक्त कोशिकाओं में हीमोग्लोबिन आपके पूरे शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाता है। कम एमसीएचसी का मतलब है कम हीमोग्लोबिन, इसलिए आपके रक्त में ऑक्सीजन देने की क्षमता कम हो जाती है।

अब लगातार ऑक्सीजन की कमी से अंग और टिसूज बेहतर ढंग से काम नहीं कर पाते। इससे शुरुआत में थकान, कमजोरी और सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। लम्बे समय तक अगर इस समस्या का इलाज नहीं किया गया तो शरीर के अंदरूनी अंग क्षतिग्रस्त हो सकते हैं और उनके कार्य में बाधा पड़ सकती है।


2. शरीर में ऑक्सीजन डिलीवरी बाधित होगी (Oxygen delivery will be disrupted)

MCHC Test में अगर रक्त कोशिकाओं में औसत हीमोग्लोबिन की कमी हो जाए तो ऑक्सीजन डिलीवरी बाधित हो सकती है। ऑक्सीजन शरीर के हर भाग के कार्यों को सुचारू रूप से करने देने के लिए आवश्यक होती है। हीमोग्लोबिन एक आयरन युक्त प्रोटीन है जो लाल रक्त कोशिकाओं को पूरे शरीर में ऑक्सीजन ले जाने में मदद करता है। कम एमसीएचसी का मतलब है कि आपके रक्त में आपके अंगों और ऊतकों तक ऑक्सीजन पहुंचाने की कम क्षमता है।

ऐसे में अगर आपके पूरे शरीर में ऑक्सीजन डिलीवरी कम होगी तो कई दिक्कतें शुरू हो सकती हैं। इससे अत्यधिक थकान और कमजोरी, त्वचा का पीलापन, एकाग्रता में कमी, हाथ और पांव ठंडे पड़ना, सीने में तेज दर्द, हृदय की धड़कन अत्यधिक तेज होना, सांस लेने में कठिनाई का अनुभव होना जैसी कई दिक्कतें हो सकती हैं।


3. हो सकता है Intrauterine growth restriction (IGR) (Intrauterine growth restriction may occur)

Low MCHC की वजह से IGR यानि Intrauterine growth restriction की समस्या हो सकती है। यह एक ऐसी विकट स्तिथि है जिसमें भ्रूण में पल रहे बच्चे का शारीरिक विकास रुक जाता है और जन्मदोषों का खतरा भी बढ़ जाता है। परंतु ऐसा क्यों होता है? आइए समझते हैं। प्लेसेंटा वह अंग है जो बच्चे को पोषण देता है। 

प्लेसेंटा वह अंग है जिसके सुचारू रूप से कार्य करने के लिए ऑक्सीजन और अन्य जरूरी पोषक तत्वों की आवश्यकता पड़ती है। ऐसे में low MCHC की वजह से ऑक्सीजन डिलीवरी बाधित हो जाती है, प्लेसेंटा भी ऑक्सीजन से वंचित हो सकता है। इस वजह से वह बच्चे को सही पोषक देने में असमर्थ हो जायेगा। इस वजह से बच्चे का सामान्य वजन घट सकता है, शारीरिक विकास रुक सकता है और कुछ मामलों में जन्मदोषों का खतरा भी बढ़ जाता है।


4. बालों का तेजी से झड़ना शुरू हो सकता है (Hair loss may begin)

MCHC Level अगर शरीर में कम हो जाए तो तेजी से बाल झड़ने की समस्या का सामना आप कर सकते हैं। हालांकि एमसीएचसी का कम स्तर सीधे तौर पर बालों के झड़ने में तो योगदान नहीं देता है लेकिन अगर इसका स्तर कम हो जाए तो एनीमिया की समस्या हो सकती है। जब आपको एनीमिया होता है, तो आपके शरीर में पर्याप्त स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाएं नहीं होती हैं। ये कोशिकाएं आपके पूरे शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाती हैं, जिसमें आपकी खोपड़ी और बालों के रोम भी शामिल हैं।

ऐसे में बालों के रोम और खोपड़ी तक आवश्यक ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं पहुंचेंगे जिससे बाल झड़ना शुरू हो सकता है। अगर आप तेजी से बालों के झड़ने की समस्या से परेशान हैं या फिर नए बालों को उगाना चाहते हैं तो तुरंत Free Hair Test दें क्योंकि एक निश्चित स्टेज के बीतने पर उपचार असंभव हो जाता है। इस टेस्ट से समय रहते आप पता लगा सकते हैं कि आपके बालों के झड़ने का असली कारण क्या है जिससे सही उपचार शुरू किया जा सकता है।


5. हृदय रोगों का जोखिम बढ़ जाता है (Risk of heart diseases increases)

अगर MCHC Test का रिज़ल्ट कम है तो हृदय रोगों का जोखिम कई गुना तक बढ़ सकता है। दोबारा से एमसीएचसी का स्तर कम होने की वजह से एनीमिया का खतरा बढ़ जाता है जिससे हृदय सहित अन्य भागों में ऑक्सीजन और अन्य पोषक तत्वों की डिलीवरी बाधित हो जाती है। हृदय की मांसपेशी पूरे शरीर में लगातार रक्त पंप करती है। जब एनीमिया होता है, तो हृदय को सामान्य ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं मिल पाती है।

ऐसे में ऑक्सीजन की कमी की भरपाई करने के लिए, हृदय को पर्याप्त रक्त पंप करने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है। यह बढ़ा हुआ कार्यभार समय के साथ हृदय की मांसपेशियों पर दबाव डाल सकता है। अत्यधिक दबाव की वजह से हृदय के खिंचाव आ सकता है और हृदय की मांशपेशियां मोटी हो सकती हैं जिसे cardiomegaly कहा जाता है। हृदय पर अत्यधिक दबाव heart failures को भी अंजाम दे सकता है जोकि जानलेवा है।


एमसीएचसी का स्तर कम क्यों होता है (Causes of low MCHC levels)

एमसीएचसी का स्तर कम होना कई कारणों से होता है। इसके कारणों में आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया, थैलेसीमिया, किडनी रोग, रक्त की हानि, शरीर में पोषक तत्वों की कमी, सिकल सेल एनीमिया, बोन मैरो डिसऑर्डर और ब्लड प्रेशर में अत्यधिक कमी शामिल है।

अगर एमसीएचसी का स्तर कम होने की समस्या से आप जूझ रहे हैं तो हम आपको आयरन सप्लीमेंट्स का अत्यधिक सेवन करने, खानपान में जरुरी बदलाव करने, आयरन युक्त भोजन का अत्यधिक सेवन करने, एक्सरसाइज करने की सलाह देते हैं।


एमसीएचसी का स्तर कैसे सुधारें (How to improve MCHC level)

ऊपर आपने विस्तार से जाना कि एमसीएचसी का स्तर कम या ज्यादा होना दोनों ही खतरनाक होता है। इसका स्तर सामान्य हो तभी आप पूर्ण रूप से स्वस्थ होंगे अन्यथा कई हृदय रोगों का खतरा बढ़ सकता है और अन्य कई स्वास्थ्य समस्याएं जन्म ले सकती हैं। ऐसे में एक प्रश्न उठता है कि एमसीएचसी का स्तर कैसे सुधारें? आइए जानते हैं इस प्रश्न का उत्तर:

1. आयरन सप्लीमेंट्स का सेवन शुरू करें (take iron supplements)

अगर आप low MCHC की समस्या से जूझ रहे हैं तो आपको आयरन सप्लीमेंट्स लेना शुरू कर देना चाहिए। कम एमसीएचसी होने का सबसे बड़ा कारण शरीर में आयरन की कमी ही होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि आयरन की ही मदद से रक्त में हिमोग्लोबिन का स्तर बढ़ता है। हालांकि हम आपको सुझाव देंगे कि बिना डॉक्टर की परामर्श के आयरन सप्लीमेंट्स की सलाह न लें। 


2. खानपान में करें जरूरी बदलाव (Make necessary changes in diet)

कम एमसीएचसी की समस्या से परेशान व्यक्तियों को खानपान में जरुरी बदलाव करना चाहिए। आपको ऐसे खाद्य पदार्थों या ऐसे आहार का सेवन अत्यधिक करना चाहिए जिसमें आयरन की मात्रा अधिकाधिक हो। अपने आहार में आयरन युक्त खाद्य पदार्थ जैसे लाल मांस, पोल्ट्री, मछली, बीन्स, दाल, पत्तेदार हरी सब्जियां और आयरन-फोर्टिफाइड अनाज शामिल करें। साथ ही विटामिन सी आयरन के अवशोषण में मदद करती है तो ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन भी करें जो विटामिन सी से भरपूर हों।


3. करें रोजाना योग और एक्सरसाइज (Do yoga and exercise daily)

रोजाना योग और व्यायाम करना भी आपके एमसीएचसी स्तर को सुधारने में योगदान दे सकता है। व्यायाम हीमोग्लोबिन (एचबी) और लाल रक्त कोशिका द्रव्यमान को बढ़ा सकता है, जिससे ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता में सुधार हो सकता है। एक्सरसाइज जैसे डम्बल, केटलबेल और resistance bands का उपयोग करना और प्राणायाम, वृक्षासन और नाड़ी शोधक योग जैसे योगासन फायदे प्रदान कर सकते हैं।


4. शराब का सेवन कम करें (Reduce alcohol consumption)

शराब का कम सेवन करना भी एमसीएचसी के स्तर में सुधार कर सकता है। शराब के सेवन से रक्त कोशिकाओं और हीमोग्लोबिन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। उदाहरण के लिए, भारी मात्रा में शराब पीने से रक्त कोशिका का उत्पादन कम हो सकता है, और रक्त का कार्य असामान्य हो सकता है। इससे शरीर में आयरन की कमी भी हो सकती है। 


5. ब्लड ट्रांसफ्यूजन कर सकता है मदद (Blood transfusion may be helpful)

MCHC Test में अगर इसकी मात्रा कम आती है तो डॉक्टर जरूरी आहार में बदलाव, दवाओं के साथ ही blood transfusion करवाने की सलाह दे सकते हैं। यह एक सामान्य प्रक्रिया है जो चोट या सर्जरी के कारण खोए गए रक्त की भरपाई करती है या यदि शरीर इसे ठीक से नहीं बना रहा है तो इस परिस्थिति में भी ब्लड ट्रांसफ्यूजन किया जाता है। 


एमसीएचसी नॉर्मल रेंज क्या है (What is MCHC normal range)

एमसीएचसी का नॉर्मल रेंज पुरुषों और महिलाओं में एक समान ही माना जाता है। पुरुषों और महिलाओं दोनों में ही एमसीएचसी का नॉर्मल रेंज 32 से 36 ग्राम प्रति डेसीलीटर (जी/डीएल) होना चाहिए। हालांकि कुछ परिस्थितियों में इसका नॉर्मल रेंज अलग अलग भी हो सकता है।

जैसे भ्रूण के हीमोग्लोबिन की उपस्थिति के कारण नवजात शिशुओं में एमसीएचसी का स्तर सामान्य सीमा से थोड़ा अधिक हो सकता है। तो वहीं गर्भावस्था के दौरान, रक्त की मात्रा बढ़ने के कारण एमसीएचसी में थोड़ी कमी देखी जा सकती है। हालांकि अगर इसकी मात्रा काफी कम हो जाए तो यह एनीमिया का संकेत हो सकता है।

 

निष्कर्ष (Conclusion)

MCHC Full Form होता है Mean Corpuscular Hemoglobin Concentration जोकि एक ब्लड टेस्ट है जो रक्त की कोशिकाओं में मौजूद औसत हिमोग्लोबिन की मात्रा की जांच करता है। एमसीएचसी का एक स्वस्थ स्तर इंगित करता है कि आपकी लाल रक्त कोशिकाएं सामान्य मात्रा में हीमोग्लोबिन ले जा रही हैं। आमतौर पर यह CBC Test का ही एक हिस्सा होता है।

आपके शरीर में एमसीएचसी का स्तर सामान्य होना चाहिए, न तो यह सामान्य से कम हो और न ही सामान्य से अधिक। इन दोनों ही परिस्थितियों में हृदय रोगों का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही तेजी से बाल झड़ना, थकान और कमजोरी, एनीमिया, हाथ पांव ठंडे पड़ना, त्वचा की रंगत पीली होना जैसी समस्याएं शुरू हो सकती हैं।


अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (Frequently Asked Questions)

1. MCHC कम होने से क्या होता है?

MCHC कम होने से एनीमिया का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही आप अत्यधिक थकान और कमजोरी, हाथ पांव ठंडे पड़ना, त्वचा पीली पड़ना, सिर दर्द और चक्कर आना जैसी समस्याओं का सामना भी कर सकते हैं। इस परिस्थिति में आपको अत्यधिक आयरन युक्त आहार का सेवन करना चाहिए।


2. एमसीएचसी कितनी होनी चाहिए?

एमसीएचसी का सामान्य स्तर 32 से 36 ग्राम प्रति डेसीलीटर (जी/डीएल) होना चाहिए। हालांकि कुछ परिस्थितियों में इसका नॉर्मल रेंज अलग अलग भी हो सकता है। गर्भावस्था के दौरान और शिशुओं में इसका मात्रा अलग हो सकती है।


3. अगर मेरा एमसीएचसी कम है तो मैं क्या करूं?

अगर आपका एमसीएचसी स्तर कम है तो डॉक्टर की सलाह पर आयरन सप्लीमेंट्स का सेवन करें, आयरन से भरपूर संतुलित भोजन का सेवन करें, फोलेट, विटामिन सी का सप्लीमेंट खाएं, रोजाना योग और एक्सरसाइज करें।


4. एमसीएचसी कम होने के क्या कारण हैं?

एमसीएचसी कम होने के कई कारण हो सकते हैं। खासतौर पर शरीर में आयरन की कमी, लीवर रोग, थैलेसीमिया, किडनी रोग, रक्त की हानि, शरीर में पोषक तत्वों की कमी, सिकल सेल एनीमिया, बोन मैरो डिसऑर्डर और ब्लड प्रेशर में अत्यधिक कमी शामिल है।


References

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Dr. Kalyani Deshmukh, M.D.

Dermatologist

Dr. Deshmukh is an MD (Dermatology, Venerology, and Leprosy) with more than 4 years of experience. She successfully runs her own practice and believes that a personalized service maximizes customer satisfaction.

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