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इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) - जानिए आईबीएस kya hota hai, लक्षण और उपचार हिंदी में


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ऐंठन, पेट दर्द, सूजन, गैस, दस्त और कब्ज जैसे लक्षण IBS यानि Irritable bowel syndrome के संकेत होते हैं। यह एक डिसऑर्डर है जोकि पेट और आंतों पर प्रभाव डालता है और इसलिए इसे gastrointestinal tract भी कहा जाता है। सबसे दुखद बात तो यह है कि अभी तक इस समस्या का स्थाई उपचार नहीं खोजा जा सका है हालांकि इसके लक्षणों को कम किया जा सकता है। इस विषय पर अधिक जानकारी हम आपको IBS Kya Hota Hai के इस ब्लॉग में देंगे।

आगे बढ़ने से पहले अगर हम कुछ आंकड़ों पर ध्यान दें तो पता चलता है कि भारत में इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (आईबीएस) की व्यापकता 0.4% से 24.8% तक है, कुछ अध्ययनों में 4.2% से 7.5% की व्यापकता बताई गई है। ये आंकड़े वाकई चिंताजनक हैं खासकर कि जब इस डिसऑर्डर का इलाज संभव नहीं है और सिर्फ इसके लक्षणों को ही मैनेज किया जा सकता है। 

आईबीएस के लक्षणों में पेट में दर्द और ऐंठन, सूजन, गैस, डायरिया, कब्ज, मल में बलगम आना, मल त्याग में परेशानी के साथ साथ बालों का झड़ना भी शामिल है। आईबीएस में तनाव का स्तर बढ़ जाता है और साथ ही पोषक तत्वों का अवशोषण कम हो जाता है जिससे बाल झड़ने की समस्या अवतरित हो सकती है। अगर आप भी बाल झड़ने की समस्या से परेशान हैं तो हम आपको Free Hair Test देने की सलाह देते हैं। इस मुफ्त टेस्ट को दो मिनट में देकर आप घर बैठे झड़ते बालों का सटीक कारण का पता लगाकर सही उपचार की शुरुआत कर सकते हैं।


आईबीएस क्या होता है (IBS Kya Hota Hai)

IBS यानि Irritable bowel syndrome एक डिसऑर्डर है जो मुख्य रूप से बड़ी आंत पर प्रभाव डालता है। इससे पेट में दर्द, ऐंठन, सूजन, गैस, दस्त और कब्ज जैसे लक्षण होते हैं। ये लक्षण आ और जा सकते हैं और तीव्रता में भिन्न हो सकते हैं। यह एक सामान्य स्थिति है, जो दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित करती है। इस डिसऑर्डर का सटीक कारण पता नहीं लगाया जा सका है, लेकिन आंतों के संकुचन तनाव इस समस्या को जन्म दे सकता है। 

न ही आईबीएस होने के सटीक कारण का पता लगाया जा सका है और न ही इसका स्थायी इलाज खोजा जा सका है। यानि इस डिसोर्डर का इलाज अभी तक खोजा नहीं जा सका है लेकिन इसके लक्षणों को कम करके जीवन की गुणवत्ता को बेहतर किया जा सकता है। साथ ही जीवनशैली और खानपान में जरुरी बदलाव करके भी इस समस्या के लक्षणों से कुछ हद तक छुटकारा पाया जा सकता है। इसे हिंदी में संग्रहणी भी कहा जाता है।

 

आईबीएस क्यों होता है (IBS Kyon Hota Hai)

आपने ऊपर विस्तार से जाना कि आईबीएस क्या होता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह समस्या जन्म ही क्यों लेती है? आखिर क्यों हजारों लाखों की संख्या में प्रतिवर्ष इस रोग से जूझते हैं? यकीन मानिए इन प्रश्नों का सटीक उत्तर चिकित्सा विज्ञान भी नहीं जानता। लेकिन कुछ तथ्यों और लॉजिक के आधार पर आईबीएस होने के 4 प्रमुख कारण माने गए हैं। आइए उन कारणों के बारे में विस्तार से समझते हैं।


1. आंतों में मांसपेशियों का सिकुड़न (Contraction of intestinal muscles)

Irritable bowel syndrome यानि IBS होने का एक प्रमुख कारण आंतों में मांसपेशियों का संकुचन माना जाता है। आईबीएस में, आंत की मांसपेशियां, विशेष रूप से Colon, बहुत अधिक या अनियमित अंतराल पर सिकुड़ सकती हैं। यह पाचन तंत्र के माध्यम से अपशिष्ट पदार्थ के सामान्य प्रवाह को बाधित करता है। मजबूत संकुचन से ऐंठन और पेट में दर्द हो सकता है जोकि आईबीएस के प्रमुख लक्षण माने जाते हैं।

साथ ही, ये असामान्य संकुचन मल की गति को तेज़ या धीमा भी कर सकते हैं। तेज गति से चलने पर दस्त होता है, जबकि धीमी गति से चलने पर कब्ज होता है। ये दोनों भी आईबीएस के प्रमुख लक्षण हैं जिनका जन्म आंत में मांशपेशियों के सिकुड़न से शुरू हो सकता है। आईबीएस की समस्या से जूझ रहे लोगों में उनकी आंतें अधिक संवेदनशील हो जाती हैं जिससे दर्द और असहजता का भाव बढ़ सकता है।


2. आंत की नसों में संवेदनशीलता बढ़ जाना (Increased sensitivity in the nerves in the gut)

आंतों की नसों में संवेदनशीलता बढ़ जाना भी आईबीएस की समस्या को जन्म दे सकता है। आंतों में संवेदनशीलता के बढ़ जाने की स्तिथि को visceral hypersensitivity भी कहा जाता है जोकि इस समस्या को जन्म देने का एक प्रमुख कारण है। आंतों में संवेदनशीलता बढ़ जाने से दर्द का अनुभव देने वाले सिग्नल्स के कार्य में गड़बड़ी हो जाती है जिससे गैस और सूजन के तेज दर्द की अनुभूति हो सकती है।

साथ ही अत्यधिक संवेदनशीलता आपके आंतों में जरा सी भी मूवमेंट को ग़लतफ़हमी समझ सकता है जिससे हमारा नर्वस सिस्टम शरीर के आम कार्यों में भी दर्द की अनुभूति दे सकता है। यहां तक कि आंत में मामूली परिवर्तन, जैसे सूजन या गैस उत्पादन में वृद्धि, अतिसक्रिय नसों द्वारा महत्वपूर्ण रूप से बढ़ सकती है, जिससे काफी असुविधा हो सकती है।


3. अत्यधिक तनाव (Stress)

अत्यधिक तनाव भी आईबीएस की समस्या में प्रमुख योगदान दे सकता है। आपको पता होना चाहिए कि आपके दिमाग और आंतों में एक कॉम्प्लेक्स संबंध है जिसे gut-brain axis भी कहा जाता है। तनावग्रस्त होने पर आपका मस्तिष्क कोर्टिसोल जैसे हार्मोन जारी करता है। ये हार्मोन आपकी आंत की कार्यप्रणाली को प्रभावित कर सकते हैं, संवेदनशीलता बढ़ा सकते हैं और ऐंठन या गतिशीलता में बदलाव का खतरा बढ़ा सकते हैं।

इसके अलावा, लंबे समय से चला आ रहा तनाव आंत सहित पूरे शरीर में निम्न-श्रेणी की सूजन में योगदान कर सकता है। यह सूजन आंत की परत को परेशान कर सकती है और दर्द, दस्त या कब्ज जैसे आईबीएस के लक्षणों को जन्म दे सकती है। साथ ही जब अत्यधिक तनाव की स्तिथि में होते हैं तो दर्द के प्रति आपकी समझ बदल जाती है यानि जरा सा भी असहजता आपको दर्द महसूस करा सकती है।


4. आंत में माइक्रोबियम बदलाव (Changes in the gut microbiome)

आंतों में माइक्रोबियम बदलाव भी आईबीएस की समस्या को जन्म दे सकता है। Gut Microbiome यानि आपके आंतों में अच्छे और बुरे बैक्टीरिया का संतुलन या मौजूदगी जोकि भोजन के पाचन और अवशोषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अगर यह संतुलन खराब हो जाए तो भी आप आईबीएस की समस्या से  परेशान हो सकते हैं। यह इसलिए क्योंकि आंत के बैक्टीरिया उन खाद्य घटकों को तोड़ने में मदद करते हैं जिन्हें हम स्वयं पचा नहीं पाते हैं। 

असंतुलन से अनुचित पाचन हो सकता है, जिससे गैस, सूजन और ऐंठन हो सकती है जोकि सामान्य आईबीएस से जुड़े लक्षण हैं। इसके अलावा, आंत माइक्रोबायोम हमारे इम्यून सिस्टम के साथ भी इंटरैक्ट करता है। ऐसे में अगर इसमें बदलाव आ जाएं तो आपका इम्यून सिस्टम कन्फ्यूज हो सकता है जिससे अनावशक रूप से प्रतिक्रिया दे सकता है। इससे आंत का आवरण क्षतिग्रस्त हो सकता है जिससे आईबीएस के लक्षण कई गुना तक बढ़ सकते हैं।


आईबीएस के लक्षण क्या हैं (IBS Ke Lakshan Kya Hain)

आईबीएस के कई लक्षण हो सकते हैं जिसमें तेज पेट दर्द, डायरिया, गैस, कब्ज, सूजन, मल में बलगम आना आदि शामिल हैं। आइए विस्तार से इन लक्षणों के बारे में समझते हैं।


1. पेट में दर्द और ऐंठन

पेट में दर्द और ऐंठन IBS का एक प्रमुख लक्षण है। ऐंठन संभवतः बड़ी आंत की मांसपेशियों में ऐंठन के कारण होती है। ये ऐंठन विभिन्न कारकों से उत्पन्न हो सकती है, जिनमें तनाव, कुछ खाद्य पदार्थ आदि शामिल हैं। परंतु ऐसा क्यों होता है? ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बड़ी आंत का मुख्य काम मल से पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स को अवशोषित करना और इसे उन्मूलन के लिए तैयार करना है। जब IBS ऐंठन का कारण बनता है, तो ये शक्तिशाली मांसपेशी संकुचन ऐंठन और दर्द का कारण बन सकते हैं।


2. डायरिया और कब्ज 

आईबीएस का अगला प्रमुख लक्षण है डायरिया और कब्ज। आईबीएस सामान्य मांसपेशियों के संकुचन को बाधित करता है जो बड़ी आंत के माध्यम से मल को स्थानांतरित करता है। इससे दस्त, कब्ज या दोनों भी एक साथ दिखाई दे सकते हैं। यदि मांसपेशियाँ बहुत ज़ोर से या बहुत बार सिकुड़ती हैं, तो मल बड़ी आंत से बहुत तेज़ी से निकल सकता है, जिसके परिणामस्वरूप मल में पानी आ जाता है यानी डायरिया। तो वहीं इसके विपरित परिस्थिति में कब्ज हो सकता है।


3. सूजन और गैस 

आईबीएस की समस्या में आपको सूजन और गैस जैसे लक्षणों का सामना भी करना पड़ सकता है। ये लक्षण आंत में गैस उत्पादन बढ़ने या गैस निकालने में कठिनाई के कारण हो सकते हैं। IBS में ऐंठन के कारण गैस फंस सकती है, जिससे सूजन और असुविधा महसूस हो सकती है। इसका कारण क्या है? दरअसल कुछ आंत बैक्टीरिया पाचन के उपोत्पाद के रूप में गैस उत्पन्न करते हैं। माइक्रोबायोम के विघटन या ऐंठन के कारण गैस पास करने में कठिनाई से सूजन और गैस का निर्माण हो सकता है। 


4. मल में बलगम आना 

मल करते समय बलगम (mucus) का आना भी IBS का एक प्रमुख लक्षण है। आईबीएस में दिक्कत के दौरान, बड़ी आंत की परत में जलन हो सकती है, जिससे बलगम का उत्पादन बढ़ सकता है। यह बलगम कभी-कभी मल में दिखाई दे सकता है। बलगम आमतौर पर आंतों द्वारा अस्तर की रक्षा करने और मल मार्ग को चिकना करने के लिए उत्पादित किया जाता है। IBS के कारण जलन बढ़ने से बलगम का अधिक उत्पादन हो सकता है जोकि आपको मलत्याग करते वक्त दिखलाई पड़ सकता है।


5. अच्छे से पेट साफ न होना 

Irritable Bowel Syndrome यानि IBS की समस्या में पेट अच्छे से साफ न होने की समस्या भी खड़ी हो जाती है। साथ ही आपको बार बार मलत्याग करने की इच्छा भी हो सकती है। दरअसल IBS में ऐंठन के कारण आंतों को पूरी तरह से खाली करना मुश्किल हो सकता है। इससे मल त्याग करने की तत्काल आवश्यकता महसूस हो सकती है और ऐसा लग सकता है कि मलत्याग पूरी तरह से नहीं हुआ है। 


6. तेजी से बाल झड़ना 

बाल झड़ने की समस्या भी आईबीएस की समस्या में जन्म ले सकती है। दरअसल आईबीएस की समस्या में आंत के कार्यक्षमता में दिक्कत हो सकती है जिससे भोजन का अवशोषण बाधित हो सकता है। यानि आप कितना भी संतुलित भोजन क्यों न कर लें, उनमें मौजूद पोषक तत्वों का अवशोषण शरीर में होगा ही नहीं। इससे बालों और स्कैल्प को आवश्यक पोषक तत्वों की डिलीवरी नहीं हो सकेगी जोकि झड़ते बालों की समस्या खड़ी कर सकत है।

लेकिन आपको घबराने की जरूरत नहीं है। अगर आप झड़ते बालों की समस्या से परेशान हैं तो हम आपको सबसे पहले Hair Test देने की सलाह देते हैं। यह फ्री टेस्ट झड़ते बालों की समस्या का सटीक कारण पता लगाता है ताकि उपचार करना आसान हो। साथ ही आपको फ्री कंसल्टेशन, डाइट प्लान और रिपोर्ट भी दी जाती है ताकि झड़ते बालों की समस्या का समाधान हमेशा हमेशा के लिए हो सके।


आईबीएस का उपचार क्या है (How is IBS treated)

जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया, आईबीएस का कोई भी सटीक उपचार नहीं खोजा जा सका है। लेकिन कई ऐसे कदम आप उठा सकते हैं जिसकी मदद से इसके लक्षणों को कम करके एक अच्छी लाइफस्टाइल जी जा सकती है। तो आइए संक्षेप में जानते हैं कि IBS की समस्या के उपचार में क्या कदम उठाए जा सकते हैं।


1. समस्या को बढ़ाने वाले आहार से दूरी बनाएं 

अगर आप IBS की समस्या को कम करना चाहते हैं या इसके लक्षणों से मुक्ति पाना चाहते हैं तो आहार में आवश्यक बदलाव जरूरी है। कई ऐसे भोज्य पदार्थ हैं जिनका सेवन करने से आईबीएस की समस्या और भी विकट हो सकती है जैसे वसायुक्त भोजन, मसालेदार भोजन, डेयरी उत्पाद, और किण्वित शर्करा में उच्च खाद्य पदार्थ। इन खाद्य पदार्थों का सेवन न करके या बेहद कम मात्रा में ही इनका सेवन करके आईबीएस के लक्षणों से दूरी बनाई जा सकती है।


2. फाइबर युक्त आहार का सेवन अधिकाधिक करें 

आईबीएस की समस्या और इसके लक्षणों से दूरी बनाने के लिए आपको फाइबर युक्त आहार का सेवन अधिकाधिक करना चाहिए। फाइबर पाचन को नियंत्रित करने में मदद करता है और कब्ज और दस्त-प्रमुख आईबीएस दोनों के लिए फायदेमंद हो सकता है। फलों, सब्जियों और इसबगोल जैसे घुलनशील फाइबर स्रोतों का सेवन करना खासतौर पर काफी फायदेमंद हो सकता है।


3. तनाव से दूरी बनाएं 

दुनिया भर में ज्ञात लगभग सभी बीमारियों का कनेक्शन कहीं न कहीं स्ट्रेस यानि तनाव से अवश्य ही होता है, IBS से भी है। तनाव आईबीएस के लक्षणों को बदतर बना सकता है जिससे परेशानी कई गुना बढ़ सकती है। ऐसे में हम आपको ऐसी एक्टिविटीज करने की सलाह देते हैं जो तनाव को आपसे कोसों दूर रख सके जैसे ध्यान लगाना, योग, व्यायाम, गहरी सांस लेना, खूब पानी पीना आदि।


4. रोजाना व्यायाम और योग करें 

Irritable Bowel Syndrome यानि IBS की समस्या से छुटकारा पाने के लिए आपको रोजाना योग और व्यायाम करना चाहिए। रोजाना योग और व्यायाम करने से न सिर्फ शरीर के सभी अंग स्वस्थ और मजबूत बनते हैं बल्कि तनाव की समस्या से भी छुटकारा दिलाते हैं। इसके अलावा रोजाना 1 घंटे योग और व्यायाम करने से आंत की गतिशीलता में सुधार हो सकता है, जो कब्ज और सूजन को कम कर सकता है। बात करें आईबीएस के लिए योग की तो इसमें धनुरासन, भुजंगासन और मार्जरी आसन करना चाहिए।


5. प्रोबायोटिक्स का सेवन करें 

प्रोबायोटिक्स का सेवन करना भी आईबीएस की समस्या के लक्षणों को कम कर सकता है हालांकि बेहतर है कि बिना डॉक्टर की सलाह के प्रोबायोटिक सप्लीमेंट्स का सेवन न करें। प्रोबायोटिक ऐसे जीवित बैक्टीरिया होते हैं जो आंत में बैक्टीरिया समूह का संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। आईबीएस होने का एक कारण आंत में अच्छे और बुरे बैक्टीरिया का असंतुलन भी है, जिसका समाधान प्रोबायोटिक का सेवन करना हो सकता है।


6. डायरिया रोधी दवाएं या रेचक औषधियाँ 

अगर आप IBS यानि irritable bowel syndrome की समस्या से परेशान हैं तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। समस्या की जांच करके डॉक्टर आपको डायरिया रोधी दवाएं या रेचक औषधियों के सेवन की सलाह दे सकते हैं। इनके नियमित सेवन से आईबीएस के प्रमुख लक्षणों को मैनेज किया जा सकता है। हालांकि ऊपर दी गई अन्य आवश्यक बातों को अपनाना भी आवश्यक है।


7. कराएं कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT)

अंतिम रास्ता आपके पास बचता है Cognitive Behavioral Therapy (CBT) कराने का। यह एक प्रकार की थेरेपी है जो आपके सोचने समझने की प्रक्रिया को सकारात्मक रूप से प्रभावित करती है। यह आपको नकारात्मक विचार पैटर्न को पहचानने और बदलने में मदद कर सकता है जो IBS के लक्षणों को बदतर बना सकता है। इस थेरेपी को कराने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श लेना अनुशंसित है। 


आईबीएस का आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic treatment of IBS)

IBS यानि इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम की समस्या के उपचार में आयुर्वेद भी आपकी मदद कर सकता है। इसके लिए आयुर्वेद में इस समस्या से परेशान व्यक्तियों को अदरक, त्रिफला, घी के साथ साथ गुड़, हींग और इसबगोल के सेवन की सलाह दी जाती है। खासतौर पर आपको एक चुटकी हींग को अजवाइन और काले नमक के साथ मिलाकर सेवन करने से लाभ मिलते हैं। इसके सेवन से आईबीएस के लक्षणों से राहत मिल सकता है।

इसके अलावा त्रिफला का नियमित सेवन भी इरीटेबल बाउल सिंड्रोम की समस्या से राहत दिलाने में असरदार माना गया है। इसमें आंवला, हरीतकी और बिभीतकी जैसे तीन आयुर्वेदिक औषधियों का मिश्रण होता है जो पाचन से जुड़ी कई दिक्कतों को दूर करता है और इसके नियमित सेवन से पेट भी अच्छे से साफ हो पाता है। इसके अलावा पंचकर्मा, आहार में बदलाव और साथ ही खानपान में आवश्यक बदलाव करके इस समस्या से निजात पाया जा सकता है।


आईबीएस की जांच कैसे की जाती है (How is IBS diagnosed)

आईबीएस की जांच करने का कोई एक खास टेस्ट या मानदंड नहीं है। इसके लिए डॉक्टर ढेरों टेस्ट्स और परीक्षण करने की सलाह दे सकते हैं। इसकी जांच के लिए सबसे पहले डॉक्टर आपसे दिखाई दे रहे लक्षणों की जानकारी प्राप्त करेंगे। इसके पश्चात वे जांचेंगे कि पूर्व में आपका मेडिकल रिकॉर्ड कैसा रहा है। 

कई बार आईबीएस का निदान करने के लिए डॉक्टर अक्सर Rome IV मानदंड जैसे स्थापित मानदंडों का उपयोग करते हैं। ये मानदंड विशिष्ट लक्षण पैटर्न को रेखांकित करते हैं जिन्हें IBS निदान के लिए पूरा किया जाना चाहिए। कई बार डॉक्टर blood test और stool test करवाने की सलाह भी दे सकते हैं लेकिन ये टेस्ट सिर्फ इसलिए किए जाते हैं ताकि बीमारी की अन्य संभावनाओं को नकारा जा सके।


आईबीएस में क्या खाएं (IBS me kya khaye)

आईबीएस होने की परिस्थिति में आपको Low-FODMAP खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए जिसमें केले, ब्लूबेरी और अंगूर जैसे फल; गाजर, तोरी, और हरी फलियाँ जैसी सब्जियाँ; और प्रोटीन स्रोत जैसे लीन मीट, मछली और अंडे शामिल हैं। साथ ही आपको फाइबर युक्त आहार का सेवन अधिकाधिक करना चाहिए जिसमें इसबगोल, नारियल पानी, संतरा, शकरकंद, ओट्स शामिल हैं।

खाद्य पदार्थों के साथ ही आपको पेय पदार्थों पर भी समान ध्यान देना चाहिए। इसके लिए आपको नारियल पानी के साथ ही भरपूर मात्रा में पानी पीना चाहिए। हाइड्रेटेड रहना आंत के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है और मल त्याग को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। पूरे दिन भरपूर पानी पीने का लक्ष्य रखें।


निष्कर्ष (Conclusion)

IBS (Irritable Bowel Syndrome) यानि संग्रहणी एक डिसऑर्डर है जो बड़ी आंत को सीधे तौर पर प्रभावित करता है। इससे पेट में दर्द, ऐंठन, सूजन, गैस, दस्त और कब्ज जैसे लक्षण होते हैं। ये लक्षण आ और जा सकते हैं और तीव्रता में भिन्न हो सकते हैं। इस डिसऑर्डर का सटीक कारण पता नहीं लगाया जा सका है, लेकिन आंतों के संकुचन तनाव इस समस्या को जन्म दे सकता है। 

सबसे बड़ी बात कि इस समस्या का कोई भी सटीक इलाज भी मौजूद नहीं है। हालांकि खानपान में बदलाव, कुछ दवाओं और अच्छी लाइफस्टाइल की मदद से आईबीएस के लक्षणों को कम किया जा सकता है लेकिन आईबीएस की समस्या कई वर्षों या शायद जीवनभर रह सकती है। आईबीएस की समस्या में आपको रोजाना खूब सारा पानी पीना चाहिए, योग और व्यायाम करना चाहिए और साथ ही 7 से 8 घंटे की गहरी नींद भी लेनी चाहिए।


अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (Frequently Asked Questions)


1. आईबीएस का मुख्य कारण क्या है?

आईबीएस के संभावित कारण में अत्यधिक तनाव, आंत में माइक्रोबियम बदलाव और आंतों में मांसपेशियों का सिकुड़न हो सकता है। हालांकि आईबीएस होने का सटीक कारण अभी तक पता लगाया नहीं जा सका है जिसकी वजह से इसका सटीक उपचार भी मौजूद नहीं है।


2. आईबीएस की पहचान कैसे की जाती है?

आईबीएस की पहचान करने के लिए डॉक्टर मौजूद लक्षणों की जानकारी मांग सकते हैं। इसके साथ ही, आपसे आपकी मेडिकल हिस्ट्री की जानकारी भी ली जा सकती है। कुछ परिस्थितियों में डॉक्टर stool test और blood test करवाने की सलाह भी दी जा सकती है।


3. आईबीएस में क्या नहीं खाना चाहिए?

आईबीएस में आपको वसायुक्त भोजन, मसालेदार भोजन, डेयरी उत्पाद, और किण्वित शर्करा में उच्च खाद्य पदार्थ का सेवन नहीं करना चाहिए। इनके सेवन से आईबीएस की समस्या अत्यधिक विकट हो सकती है।


4. आईबीएस कितने दिन तक रहता है?

आईबीएस कई वर्षों तक या उम्रभर रह सकता है क्योंकि इसका कोई भी सटीक इलाज मौजूद नहीं है। हालांकि खानपान में आवश्यक बदलाव करने और लाइफस्टाइल सुधारने के साथ साथ डॉक्टर द्वारा अनुशंसित दवाओं के सेवन से इसके लक्षणों को मैनेज किया जा सकता है।


References

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Dr. Shailendra Chaubey, BAMS

Ayurveda Practioner

A modern-day Vaidya with 11 years of experience. He is the founder of Dr. Shailendra Healing School that helps patients recover from chronic conditions through the Ayurvedic way of life.

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