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महिलाओं के बाल झड़ने का कारण: रिसर्च और सही समाधान की पूरी गाइड

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A modern-day Vaidya with 11 years of experience. He is the founder of Dr. Shailendra Healing School that helps patients recover from chronic conditions through the Ayurvedic way of life.

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महिलाओं में बाल झड़ने की समस्या पुरुषों के मुकाबले कहीं अधिक विकट है. गर्भावस्था, हार्मोनल बदलाव, घर-गृहस्थी-नौकरी का टेंशन, मेनोपाज, एनीमिया जैसे कई समस्याएं हैं जो महिलाओं में तेजी से बाल झड़ने की समस्या को जन्म देती हैं. लेकिन अगर महिलाओं के बाल झड़ने का सटीक कारण पता चल जाए तो सही ट्रीटमेंट से समस्या की रोकथाम आसान हो जाती है.

और इसीलिए हमने इस ब्लॉग को तैयार किया है जिसमें हम रिसर्च और आंकड़ों के आधार पर आपको जानकारी देंगे कि विश्वभर में महिलाओं के बाल झड़ने की समस्या किन कारणों की वजह से जन्म लेती हैं. किसी भी सफल इलाज से पहले समस्या की जड़ को समझना आसान है और इसलिए यह ब्लॉग समस्या और समाधान दोनों को समझने में आपकी मदद करेगा.

साथ ही, हमारे Traya के हेयर एक्सपर्ट्स और डॉक्टरों ने मिलकर गहन अध्ययन के पश्चात Free Hair Test भी तैयार किया है. इस टेस्ट का उद्देश्य आपके बालों से जुडी समस्या खासकर हेयर फॉल के सटीक कारण का पता लगाना है. बाल झड़ने के कारण तो 20 से भी अधिक हैं, लेकिन आपके मामले में कौनसा कारण जिम्मेदार है इसे समझने के लिए यह मुफ्त टेस्ट जरुर दें और सही समाधान पाएँ. 


महिलाओं में बाल झड़ने के मुख्य कारण


महिलाओं में बाल झड़ने के पीछे कई वजहें होती हैं - कुछ अस्थायी और कुछ लंबे समय तक चलने वाली. इनमें सबसे आम हैं अनुवांशिक समस्या (फीमेल पैटर्न हेयर लॉस), हार्मोनल बदलाव जैसे गर्भावस्था, मेनोपॉज़ या थायरॉइड डिसऑर्डर, और तनाव या बीमारी से होने वाला टेलोजन इफ्लूवियम. 

सही कारण पहचानना बेहद जरूरी है क्योंकि हर वजह के लिए समाधान भी अलग होता है. Traya द्वारा किए गए महिलाओं में बाल झड़ने की समस्या पर विस्तृत अध्ययन और दुनियाभर के प्रतिष्ठित संस्थानों के रिसर्च को आधार बनाकर निचे आपको बिलकुल सटीक जानकारी दी जा रही है।

 

1. फीमेल पैटर्न हेयर लॉस (एंड्रोजेनेटिक एलोपेसिया)

यह महिलाओं में बाल झड़ने का सबसे बड़ा कारण है. यह एक जेनेटिक समस्या है जो माँ या पिता, दोनों से आ सकती है. धीरे-धीरे हेयर फॉलिकल्स सिकुड़ने लगते हैं और बाल पतले, छोटे होते जाते हैं. खासकर मेनोपॉज़ के बाद जब एस्ट्रोजन हार्मोन कम हो जाता है, तब यह समस्या और तेजी पकड़ लेती है. सच तो यह है कि केवल 45% महिलाएँ ही पूरी उम्र घने बालों के साथ जी पाती हैं.

क्या करें:

  • शुरुआत में ही Traya Hair Test कराएँ ताकि सही कारण पता चल सके।

  • बालों पर केमिकल ट्रीटमेंट (डाई, स्मूदनिंग, स्ट्रेटनिंग) से बचें।

  • पौष्टिक डाइट लें जिसमें आयरन, प्रोटीन और विटामिन D भरपूर हों।

  • सही समय पर इलाज (जैसे Traya डॉक्टर द्वारा बताए गए ट्रीटमेंट) शुरू करें ताकि फॉलिकल्स को बचाया जा सके।

 

2. हार्मोनल बदलाव

महिलाओं की जिंदगी के अलग-अलग पड़ाव जैसे गर्भावस्था, डिलीवरी, मेनोपॉज़, पीसीओएस या थायरॉइड की समस्या आदि सब बाल झड़ने के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं. गर्भ के बाद अचानक हार्मोनल शिफ्ट, मेनोपॉज़ में एस्ट्रोजन की भारी कमी, या पीसीओएस में एंड्रोजन की बढ़ोतरी सीधे हेयर हेल्थ पर असर डालते हैं. यही कारण है कि कई बार बाल झड़ने का पैटर्न अचानक बदल जाता है.

क्या करें:

  • गर्भावस्था या मेनोपॉज़ से जुड़े बदलाव में धैर्य रखें और संतुलित आहार लें।

  • पीसीओएस या थायरॉइड जैसी समस्याओं के लिए डॉक्टर से नियमित जांच कराएँ।

  • योग, ध्यान और पर्याप्त नींद से हार्मोन बैलेंस में मदद मिल सकती है।

  • आयुर्वेदिक और नेचुरल उपाय अपनाएँ लेकिन किसी भी दवा को विशेषज्ञ की सलाह के बिना न लें।

 

3. टेलोजन इफ्लूवियम (तनाव से होने वाला हेयर लॉस)

यह समस्या अस्थायी होती है लेकिन बहुत आम है. जब शरीर या दिमाग पर ज्यादा बोझ पड़ता है जैसे बड़ी बीमारी, सर्जरी, तेज बुखार या मानसिक तनाव तो बाल अचानक “रेस्टिंग फेज़” में चले जाते हैं. इसका मतलब है कि रोज़ाना सामान्य से कहीं ज्यादा बाल (कभी-कभी 300 तक) झड़ने लगते हैं. अच्छी बात यह है कि यह समस्या आमतौर पर 6–8 महीने में खुद ठीक हो जाती है, लेकिन उस दौर से गुजरना बहुत मुश्किल होता है.

क्या करें:

  • तनाव कम करने के लिए योग, ध्यान और हल्की कसरत अपनाएँ।

  • संतुलित आहार लें और पर्याप्त पानी पिएँ।

  • हेयर-फ्रेंडली आदतें अपनाएँ: टाइट हेयरस्टाइल से बचें, हल्के शैम्पू का इस्तेमाल करें।

  • अगर बाल झड़ना लंबे समय तक जारी रहे तो डॉक्टर से मिलकर सही टेस्ट कराएँ।

 

4. न्यूट्रिशनल डिफिशियेंसी (पोषण की कमी)

भारत की महिलाओं में यह समस्या सबसे आम है. आयरन की कमी (एनीमिया) महिलाओं में बाल झड़ने का सबसे बड़ा कारण मानी जाती है. इसके अलावा प्रोटीन, विटामिन D और B12, बायोटिन जैसी कमी भी सीधे बालों की जड़ों को कमजोर करती हैं. कई बार महिलाएँ डाइटिंग या बिज़ी लाइफस्टाइल के कारण सही पोषण नहीं ले पातीं और धीरे-धीरे हेयर फॉल बढ़ने लगता है.

क्या करें:

  • रोज़ाना आहार में आयरन से भरपूर चीजें (हरी पत्तेदार सब्ज़ियाँ, दालें, अनार) शामिल करें।

  • प्रोटीन का सेवन बढ़ाएँ जैसे अंडा, दालें, सोया, पनीर।

  • धूप में रोज़ाना 15–20 मिनट समय बिताएँ ताकि विटामिन D बने।

  • सप्लीमेंट्स केवल डॉक्टर या विशेषज्ञ की सलाह से लें।

  • Traya का Free Hair Test करवाकर पता करें कि आपके हेयर फॉल का असली कारण पोषण की कमी तो नहीं।

 

5. मेडिकल कंडीशन्स और लम्बे समय से चली आ रही बीमारियाँ 

कई बार बाल झड़ना सिर्फ हेयर प्रॉब्लम नहीं बल्कि किसी गहरी बीमारी का संकेत होता है. डायबिटीज, थायरॉइड डिसऑर्डर, ऑटोइम्यून डिज़ीज़ (जैसे ल्यूपस, एलोपेसिया एरियाटा) और स्कैल्प इंफेक्शन भी हेयर हेल्थ को प्रभावित कर सकते हैं. ऐसे मामलों में सिर्फ शैम्पू या ऑयल बदलने से फर्क नहीं पड़ता क्योंकि असली समस्या शरीर के अंदर होती है.

क्या करें:

  • अगर आपको डायबिटीज या थायरॉइड जैसी बीमारी है तो डॉक्टर से रेगुलर चेकअप कराएँ।

  • स्कैल्प में खुजली, लालपन या पपड़ी जैसी समस्या दिखे तो तुरंत त्वचा विशेषज्ञ से मिलें।

  • हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएँ, ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर कंट्रोल रखें।

 

6. दवाइयाँ और ट्रीटमेंट्स

कई बार जिस दवा से बीमारी का इलाज होता है, वही बाल झड़ने का कारण बन जाती है. जन्म-निरोधक गोलियाँ, एंटी-डिप्रेशन मेडिसिन, ब्लड थिनर्स, कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल दवाएँ और स्किन ट्रीटमेंट की रेटिनोइड दवाएँ बालों को कमजोर करती हैं. कैंसर के इलाज (कीमोथेरेपी और रेडिएशन) में तो बाल झड़ना लगभग निश्चित होता है क्योंकि यह तेजी से विभाजित होने वाली कोशिकाओं को प्रभावित करती हैं.

क्या करें:

  • किसी भी दवा को अचानक बंद न करें, पहले डॉक्टर से सलाह लें।

  • इलाज के दौरान पोषण और हेयर केयर पर खास ध्यान दें।

  • हल्के शैम्पू और केमिकल-फ्री प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करें।

 

7. हेयर स्टाइलिंग प्रैक्टिस और ट्रीटमेंट्स

कई बार बाल झड़ने की वजह अंदरूनी नहीं बल्कि हमारी हेयर स्टाइलिंग आदतें होती हैं. टाइट पोनीटेल, चोटी या जूड़ा करने से ट्रैक्शन एलोपेसिया हो सकता है, जिसमें बाल जड़ों से खिंचते हैं. हीट टूल्स (ड्रायर, स्ट्रेटनर) का ज़्यादा इस्तेमाल और केमिकल ट्रीटमेंट (स्ट्रेटनिंग, पर्मिंग, हॉट ऑयल ट्रीटमेंट) बालों की प्राकृतिक संरचना को कमजोर कर देते हैं. ऊपर से अगर रोज़ाना हार्श शैम्पू या हेयर प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल हो, तो हेयर फॉल और बढ़ जाता है.

क्या करें:

  • टाइट हेयरस्टाइल से बचें, खासकर लंबे समय तक।

  • हीट टूल्स का इस्तेमाल हफ़्ते में 1–2 बार से ज्यादा न करें।

  • केमिकल ट्रीटमेंट्स को कम से कम रखें, और करवाते समय अच्छे सैलून चुनें।

  • हल्के, सल्फेट-फ्री शैम्पू और नेचुरल हेयर ऑयल का इस्तेमाल करें।

  • हफ़्ते में एक दिन बालों को “नो-स्टाइल डे” दें ताकि वो रिलैक्स कर सकें।

 

8. अचानक शारीरिक या मानसिक आघात

कभी-कभी कोई बड़ा शारीरिक या भावनात्मक झटका बालों पर सीधा असर डाल सकता है. जैसे कि क्रैश डाइटिंग (अचानक बहुत कम खाना शुरू करना), बड़ी सर्जरी या एक्सीडेंट, गंभीर संक्रमण (मलेरिया, टायफाइड, वायरल फीवर) या फिर किसी जीवन-परिवर्तनकारी घटना का तनाव. ऐसे हालात में शरीर अपने रिसोर्सेस को ज़्यादा जरूरी अंगों पर फोकस करता है और बाल “शॉक” की वजह से झड़ने लगते हैं.

क्या करें:

  • धीरे-धीरे और संतुलित डाइट अपनाएँ, क्रैश डाइट से बचें।

  • बीमारी या सर्जरी के बाद पोषण और रिकवरी पर ध्यान दें।

  • मानसिक आघात की स्थिति में काउंसलिंग, ध्यान या योग का सहारा लें।

  • समय के साथ इस तरह का हेयर लॉस अक्सर खुद रिकवर हो जाता है, लेकिन अगर लंबे समय तक बना रहे तो डॉक्टर से मिलें।

 

9. विटामिन D की कमी

बहुत सी महिलाएँ नहीं जानतीं कि उनके बालों की जड़ों में मौजूद विटामिन D रिसेप्टर्स सीधे हेयर ग्रोथ साइकिल को नियंत्रित करते हैं. इसकी कमी होने पर बाल समय से पहले रेस्टिंग फेज़ में चले जाते हैं और धीरे-धीरे पतले होने लगते हैं. यह कमी अक्सर महीनों या सालों तक पकड़ी नहीं जाती क्योंकि लोग इसे हेयर लॉस से जोड़कर नहीं देखते. खासकर वे महिलाएँ जो धूप में कम समय बिताती हैं या सख़्त डाइट फॉलो करती हैं, उनमें यह समस्या आम है.

क्या करें:

  • रोज़ाना 15–20 मिनट धूप में समय बिताएँ।

  • डाइट में अंडा, मशरूम, दूध और फोर्टिफाइड फूड्स शामिल करें।

  • डॉक्टर की सलाह से विटामिन D सप्लीमेंट लें।

  • अगर लंबे समय तक हेयर फॉल जारी रहे तो Traya का Hair Test कराकर deficiency की पहचान करें।

 

10. ऑटोइम्यून कंडीशन्स (ल्यूपस और अन्य बीमारियाँ)

कभी-कभी बाल झड़ने के पीछे शरीर की अपनी इम्यून सिस्टम की गड़बड़ी होती है. ल्यूपस जैसी बीमारियों में शरीर बालों की जड़ों पर ही अटैक करना शुरू कर देता है. इससे डिफ्यूज़ हेयर थिनिंग या पैची हेयर लॉस दोनों हो सकते हैं. कई बार इसे स्ट्रेस या फीमेल पैटर्न बाल्डनेस समझकर नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है. लेकिन सिकैट्रिशियल एलोपेसिया (scarring alopecia) जैसी स्थिति में अगर समय पर इलाज न मिले तो हेयर लॉस स्थायी हो सकता है.

क्या करें:

  • अगर हेयर लॉस अचानक और असामान्य पैटर्न में हो रहा है तो तुरंत डॉक्टर से मिलें।

  • ल्यूपस या अन्य ऑटोइम्यून बीमारियों का शुरुआती निदान बेहद ज़रूरी है।

  • संतुलित जीवनशैली और नियमित जांच से स्थिति संभाली जा सकती है।

 

11. ट्रिकोटिलोमेनिया (बाल नोचने की आदत)

यह एक साइकोलॉजिकल डिसऑर्डर है जो महिलाओं में पुरुषों से ज़्यादा पाया जाता है. इसमें महिलाएँ तनाव या चिंता के दौरान अनजाने में ही अपने बाल नोचने लगती हैं - कभी पढ़ते समय, टीवी देखते हुए या ऑफिस के काम के दौरान. अक्सर महिलाएँ खुद भी यह नहीं समझ पातीं कि बाल झड़ने का कारण वही है. इससे सिर पर अनियमित पैची हेयर लॉस दिखने लगता है, जिसे कई बार अन्य कारणों से जोड़कर गलत समझा जाता है.

क्या करें:

  • समझें कि यह एक मानसिक स्थिति है, गलती या कमजोरी नहीं।

  • तनाव और चिंता कम करने के लिए मेडिटेशन, योग या थेरेपी अपनाएँ।

  • किसी मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ (साइकोलॉजिस्ट/साइकियाट्रिस्ट) से काउंसलिंग लें।

 

12. फ्रंटल फाइब्रोसिंग एलोपेसिया

यह एक इंफ्लेमेटरी और स्कारिंग कंडीशन है जो हाल के वर्षों में महिलाओं में बढ़ती देखी जा रही है. इसमें बाल खासकर फोरहेड के ऊपर फ्रंट हेयरलाइन और भौंहों से झड़ने लगते हैं. शुरुआत में इसे सामान्य एजिंग या रीसीडिंग हेयरलाइन समझा जाता है, लेकिन धीरे-धीरे यह स्थायी और प्रोग्रेसिव हेयर लॉस में बदल जाता है. खासकर पोस्टमेनोपॉज़ल महिलाएँ इससे ज़्यादा प्रभावित होती हैं, लेकिन युवा महिलाओं में भी यह हो सकता है.

क्या करें:

  • शुरुआती लक्षण दिखते ही त्वचा विशेषज्ञ से मिलें।

  • इंफ्लेमेशन रोकने के लिए डॉक्टर द्वारा सुझाई गई दवाओं का पालन करें।

  • सेल्फ-ट्रीटमेंट से बचें क्योंकि यह समस्या समय के साथ स्थायी हो सकती है।

 

Traya कैसे मदद कर सकता है?


बाल झड़ने की समस्या कभी भी सिर्फ सतह की नहीं होती. असली वजहें गहरी होती हैं जैसे कभी हार्मोनल बदलाव, कभी पोषण की कमी, तो कभी तनाव या लाइफ़स्टाइल की गड़बड़ी. यही कारण है कि सिर्फ शैम्पू, ऑयल या कंडीशनर बदलने से फर्क नहीं पड़ता. असली राहत तभी मिलती है जब समस्या की जड़ तक पहुँचा जाए.

इसी सोच के साथ Traya ने अपना Free Hair Test तैयार किया है. यह टेस्ट आपको बताएगा कि आपके बाल झड़ने की असली वजह क्या है. इसके बाद हमारे हेयर कोच और डॉक्टर आपके केस को देखकर आपके लिए एक पर्सनलाइज़्ड ट्रीटमेंट प्लान बनाएँगे. हमारी खासियत यही है कि हम सिर्फ बालों की बाहरी देखभाल नहीं करते, बल्कि अंदर और बाहर दोनों से समस्या पर काम करते हैं -

  • सप्लीमेंट्स जो आपके पोषण की कमी को पूरा करें।

  • शैम्पू, ऑयल और कंडीशनर जो आपके स्कैल्प और बालों को सही केयर दें।

  • लाइफ़स्टाइल और डाइट गाइडेंस जो आपके रोज़मर्रा की आदतों को सुधारकर हेयर हेल्थ बेहतर करें।

  • और सबसे ज़रूरी - हेयर कोच का लगातार सपोर्ट, ताकि आप हर स्टेप पर गाइडेड रहें।

हम मानते हैं कि बिना कारण जाने ट्रीटमेंट शुरू करना, अंधेरे में तीर चलाने जैसा है. इसलिए पहला कदम हमेशा यही है कि आप Free Hair Test दीजिए, कारण पहचानिए और फिर सही समाधान पाइए. Traya के साथ आपकी हेयर जर्नी सिर्फ प्रॉडक्ट्स तक सीमित नहीं, बल्कि एक होलिस्टिक और भरोसेमंद समाधान है.

 

महिलाओं के बाल झड़ने का कारण – रिसर्च क्या कहती है?


अक्सर जब महिलाएँ हेयर फॉल झेलती हैं, तो लगता है कि यह सिर्फ उनकी ही समस्या है. लेकिन असलियत यह है कि दुनिया भर में करोड़ों महिलाएँ इसी मुश्किल से गुजरती हैं. रिसर्च भी यही बताती है कि महिलाओं में हेयर फॉल कितना कॉमन है और किन वजहों से यह बढ़ता है.

 

1. रोज़ाना बाल झड़ना


Healthline की रिपोर्ट के अनुसार, महिलाएँ अक्सर पुरुषों से ज़्यादा बाल रोज़ाना खोती हैं. लगभग 40% महिलाएँ रोज़ाना ज़्यादा बाल खोती हैं और इसका सबसे बड़ा कारण है हीट स्टाइलिंग, हेयर कलरिंग और बार-बार ट्रीटमेंट्स. इसके अलावा, गर्भावस्था और मेनोपॉज़ जैसे जीवन के पड़ावों में भी अचानक बाल झड़ना तेज़ हो जाता है.

 

2. Female Pattern Hair Loss (FPHL) – उम्र के साथ बढ़ती समस्या

एक मेडिकल स्टडी (NIH) के अनुसार, महिलाओं में पैटर्न हेयर लॉस उम्र के साथ तेजी से बढ़ता है:

  • 29 साल की उम्र तक लगभग 12% महिलाएँ इस समस्या से प्रभावित होती हैं।

  • 49 तक पहुँचते-पहुँचते यह संख्या 25% तक हो जाती है।

  • 50 की उम्र तक 40% महिलाएँ किसी न किसी रूप में हेयर लॉस झेल रही होती हैं।

  • और 79 साल की उम्र तक आते-आते हर दूसरी महिला (50% से ज़्यादा) को इस समस्या का सामना करना पड़ता है।

इससे साफ है कि हेयर फॉल कोई छोटी या असामान्य बात नहीं, बल्कि एक सच्चाई है जो ज़्यादातर महिलाओं की ज़िंदगी में किसी न किसी मोड़ पर सामने आती है. फर्क सिर्फ इतना है कि किसी में यह जल्दी दिखता है, किसी में देर से.

 

अचानक से बाल झड़ना शुरू हो जाये तो क्या करें?


अचानक जब रोज़ाना से ज़्यादा बाल गिरने लगें तो स्वाभाविक है डर लगना. कई महिलाएँ इसे देखकर घबरा जाती हैं और तुरंत महंगे ट्रीटमेंट्स या दर्जनों प्रॉडक्ट्स पर पैसे खर्च करना शुरू कर देती हैं. लेकिन सच्चाई यह है कि हर बार अचानक हुआ हेयर फॉल गंभीर या स्थायी नहीं होता.

सबसे पहले, खुद को शांत रखिए और पिछले कुछ दिनों की अपनी लाइफ़स्टाइल पर नज़र डालिए:

  • क्या आपने हाल ही में कोई नई दवा लेना शुरू की है?

  • क्या आप सर्जरी, बुखार या किसी बड़ी बीमारी से गुज़री हैं?

  • क्या आपने पिछले दिनों अत्यधिक तनाव, कम नींद या क्रैश डाइट किया है?

  • क्या आपने केमिकल वाले हेयर ट्रीटमेंट्स, स्ट्रेटनिंग या कलरिंग ज़्यादा की है?

ये सभी कारण अचानक हेयर फॉल को ट्रिगर कर सकते हैं. अक्सर यह टेम्पररी होता है और कुछ दिनों में खुद ही कंट्रोल हो जाता है. इन आसान कदमों से शुरुआत करें:

  • कुछ दिनों तक केमिकल वाले हेयर प्रॉडक्ट्स और ट्रीटमेंट्स से दूरी बनाएँ।

  • हीट स्टाइलिंग (ड्रायर, स्ट्रेटनर, कर्लर) का इस्तेमाल कम से कम करें।

  • पौष्टिक खाना खाएँ – प्रोटीन, हरी सब्जियाँ और फल अपनी डाइट में ज़रूर शामिल करें।

  • अगर संभव हो तो हार्ड वाटर से बाल धोने से बचें।

  • हफ्ते में 1–2 बार नैचुरल ऑयल मसाज करें।

  • अच्छी नींद, योग और मेडिटेशन/मंत्र उच्चारण से तनाव कम करें।

 

कब आगे कदम बढ़ाना ज़रूरी है?


अगर यह समस्या 7–10 दिनों से ज़्यादा बनी रहती है या और बढ़ने लगती है, तो देर न करें. उस समय Traya का Free Hair Test ज़रूर दें. इससे आपको यह साफ़ पता चल जाएगा कि आपके केस में हेयर फॉल का असल कारण क्या है और आगे कौनसा ट्रीटमेंट सही रहेगा. याद रखिए, शुरुआत में शांत रहना और सही कदम उठाना आपको पैसे, समय और चिंता – तीनों से बचाएगा.

 

निष्कर्ष


महिलाओं में बाल झड़ने की समस्या कई कारणों से जुड़ी हो सकती है जैसे जेनेटिक फैक्टर (Female Pattern Hair Loss), हार्मोनल बदलाव, तनाव, न्यूट्रिशनल कमी, मेडिकल कंडीशन्स, दवाइयों के साइड-इफेक्ट, हेयर स्टाइलिंग प्रैक्टिसेज़, विटामिन डी की कमी, ऑटोइम्यून डिज़ीज़, या यहाँ तक कि ट्रॉमा और मानसिक कारण। हर महिला का अनुभव अलग होता है और यही वजह है कि बाल झड़ने के पीछे की असली वजह को पहचानना सबसे ज़रूरी है।

अच्छी बात यह है कि ज़्यादातर मामलों में समय रहते कारण समझकर और छोटे-छोटे बदलाव करके बाल झड़ने की समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है। घबराने के बजाय धैर्य रखें, संतुलित जीवनशैली अपनाएँ और ज़रूरत पड़ने पर हमारे हेयर कोच से मार्गदर्शन लें। याद रखें, बाल झड़ना अक्सर स्थायी समस्या नहीं होती - सही कदम समय पर उठाए जाएँ तो सुधार संभव है।

 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

 

1. महिलाओं में बाल झड़ने का सबसे आम कारण क्या है?

महिलाओं में सबसे आम कारण हॉर्मोनल बदलाव और जेनेटिक फैक्टर होते हैं। इसके अलावा, तनाव, पोषण की कमी और गलत हेयर केयर आदतें भी बाल झड़ने को तेज कर देती हैं।

2. अचानक से बाल झड़ना शुरू हो जाए तो क्या करें?

सबसे पहले घबराएँ नहीं। याद करें पिछले दिनों में आपने कोई नई दवा, सर्जरी, तनाव या डाइटिंग की है क्या। ये सब अस्थायी कारण हो सकते हैं। अगर 7–10 दिन तक झड़ना जारी रहे तो विशेषज्ञ से सलाह लेना ज़रूरी है।

3. क्या रोज़ाना कुछ बाल झड़ना सामान्य है?

हाँ, रोज़ाना 50–100 बालों का झड़ना सामान्य माना जाता है। बालों का यह नेचुरल साइकिल है। लेकिन अगर बालों का गुच्छों में गिरना शुरू हो जाए या स्कैल्प दिखने लगे तो यह चिंता का विषय हो सकता है।

4. क्या उम्र बढ़ने के साथ बाल झड़ना ज़्यादा होता है?

जी हाँ, उम्र बढ़ने पर हॉर्मोनल बदलाव और बॉडी की मेटाबॉलिक स्पीड कम होने से बालों की क्वालिटी और डेंसिटी दोनों घटने लगती है। इसलिए मेनोपॉज के बाद कई महिलाएँ तेज़ी से बाल झड़ने का अनुभव करती हैं।

5. क्या बाल झड़ने को घरेलू उपायों से रोका जा सकता है?

कुछ हद तक हाँ। संतुलित आहार, तेल मालिश, हेवी केमिकल्स से बचाव, पर्याप्त नींद और तनाव कम करना बालों को मज़बूत रखते हैं। लेकिन अगर वजह अंदरूनी है, तो सिर्फ़ घरेलू उपाय काफी नहीं होते, जाँच और सही ट्रीटमेंट ज़रूरी है।

 

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